चारे और पानी को लेकर हुई प्रदेश स्तरीय जन सुनवाई में राज्य भर के लोगों ने बयां किये हालात
सूचना एवं रोज़गार का अधिकार अभियान की ओर से जयपुर में 1 जून से शहीद स्मारक पर दिए जा रहे ‘जवाब दो’ धरने के तीसरे दिन आज प्रदेश में सूखे और अकाल की स्थिति पर एक जनसुनवाई हुई. धरने में शामिल प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये लोगों ने बताया कि प्रदेश में अकाल के भयावह हालात होने के बावजूद सरकार अकाल को लेकर संवेदनशील नहीं है.
जनसुनवाई में शामिल विभिन्न जिलों से आये लोगों ने बताया कि पिछले कुछ सालों में प्रदेश में पहली बार ऐसा भयावह अकाल पड़ा है. सबसे ज्यादा मार चारे और पानी को लेकर है. पीने के पानी के लिए टैंकरों का सहारा लेना पड़ता है जिसकी हमें भारी कीमत चुकानी पड़ती है.
अजमेर जिले के सुरसुरा गाँव की वृद्धा बिदाम देवी ने बताया कि वे अकेली रहती हैं. पेंशन के नाम पर 500 रूपए मिलते हैं जो वो अपने मकान किराये में चुका देती हैं. उनके मुताबिक उन्हें पहले 750 रुपये पेंशन मिलती थी लेकिन पिछले कुछ समय से उन्हें सिर्फ 500 रुपये ही मिल रहे हैं. उनके पास अकाल के इस वक़्त में दो वक़्त की रोटी भी जुटा पाना मुश्किल हो रहा है. जोधपुर के बुधराम ने बताया कि उनके क्षेत्र में पानी की व्यवस्था नहीं है, कहने को तो गाँव में हैंडपंप हैं लेकिन वे सब सूख गए हैं और वे 20 किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं. बाड़मेर जिले के गतरा रोड गाँव के रमेश कुमार ने बताया कि हमें पीने के पानी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है. राष्ट्रीय मरुधरा इलाका घोषित होने के कारण हमें ट्यूब वेल खोदने नहीं देते और एक-एक पानी के टैंकर के लिए हमें 500 रुपये देने पड़ रहे हैं. भारत-पाक सीमा से सटे इलाकों में अकाल के भयावह हालात बने हुए हैं. बाड़मेर के घरतिया गाँव के भगाराम ने बताया कि उनके क्षेत्र में सरकार की ओर से अकाल से निपटने के लिए कोई उपाय नहीं किये जा रहे हैं.
बीकानेर के नोखा तहसील के भोलाराम बिश्नोई का केस भी इस जन सुनवाई में सामने आया. भोलाराम को हाल ही जब फसल के लिए लिया तीन लाख का क़र्ज़ नहीं चुकाने पर उसकी ज़मीन कुर्क करने का नोटिस मिला तो अवसाद में आकर उसने आत्महत्या की कोशिश की और आज भी अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहा है. इसी इलाके के रावतराम ने बताया कि उनके यहाँ आज चारे के कीमत 29 रुपये प्रति किलो तक पहुँच गयी है लेकिन फिर भी सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिल रही है.
इसी तरह अलवर के राम तरुण ने बताया कि उनके यहाँ मात्र 50 रुपये तक में पशुधन को बेचने को लोग तैयार हैं क्योंकि अकाल के भयावह हालात में उन्हें पालना नामुमकिन हो रहा है.
सर्वे में आया सच सामने
प्रदेश के 26 फीसदी कुओं में पानी पीने लायक नहीं है. 32 फीसदी हैण्ड पम्पों में खारा पानी आता है और लोगों को औसतन 5 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है. सूचना रोज़गार अभियान और एक्शन ऐड द्वारा किये गए एक सर्वे में ये तथ्य निकल कर आये. यह सर्वे 7 जिलों – नागौर, बाड़मेर, चित्तौड़ गढ़, उदयपुर, जयपुर, बारां और बांसवाडा में किया गया. कुल 19 तहसीलों के 83 गाँवों में किये गए इस सर्वे में निकलकर आया कि प्रदेश में पानी के स्त्रोत धीरे-धीरे सूख रहे हैं.
इन 7 जिलों में कुल 1067 कुएं हैं जिनमें 277 ही चालू हैं. उनमें भी 44 प्रतिशत कुओं में ही पीने लायक पानी है. इसी तरह कुल 558 हैण्ड पम्पों में से 246 हैण्ड पम्प चालू है. सर्वे किये इन गाँवों में 74 प्रतिशत कुएं, 56 प्रतिशत हैण्ड पम्प, 61 प्रतिशत बावडिया, 90 प्रतिशत तालाब, और 39 प्रतिशत ट्यूब वेल सूख गए हैं. मात्र 9 गाँवों के लोगों ने बताया कि पशुओं हेतु पर्याप्त चारा उपलब्ध है, 73 गाँवों में पशुओं के लिए पर्याप्त चारा नहीं है. चारे व पानी के अभाव में 51 गाँवों में पशुओं की मौतें हुईं हैं. बाड़मेर के दो गाँवो में भोजन की कमी से दो मौतें होने की बात भी सामने आई.
अकाल से निपटने में राज्य सरकार नाकाम
“इस सूखे में हमारे कुओं का पानी ही नहीं उतरा, बल्कि हमारी आँखों का पानी भी सूख रहा है. ज़मीन ही नहीं सूखी बल्कि इस देश का दिल और दिमाग भी सूख गया है. देश के प्रधानमंत्री आज पानी की समस्या को लेकर बैठकें कर रहे हैं पर वे यह जवाब दें कि उन्होंने सूखे की समस्या से निपटने के लिए क्या व्यवस्था की?” स्वराज अभियान के सह-संस्थापक और प्रसिद्द राजनीतिक विश्लेषक योगेन्द्र यादव ने यह बात आज जयपुर में सूचना रोज़गार अभियान के ‘जवाब दो’ धरने को संबोधित करते हुए की. उन्होंने धरने को समर्थन देते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती. उन्होंने हाल ही में स्वराज अभियान द्वारा लगाई याचिका में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि यह बड़ा ही दुखद है कि जिन राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों को अकाल, सूखे, राशन, नरेगा, आदि गरीबों से जुड़े मुद्दों पर विचार करना चाहिए था उन्होंने ऐसा नहीं किया और देश के सर्वोच्च न्यायालय के फटकार लगाने के बाद भी सरकारें हरकत में नहीं आ रही हैं.
धरने को मिल रहा समर्थन
सरकारी तंत्र की जवाबदेही मांग रहे इस धरने को प्रतिदिन प्रदेश के अलग-अलग जन संगठनों, अभियानों, और राजनीतिक दलों का समर्थन मिल रहा है. आज धरने में प्रदेश में शराबबंदी की मांग को लेकर चलाये जा रहे अभियान की संयोजक पूजा छाबड़ा, राजस्थान राज्य विमुक्त घुमंतू कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष गोपाल केशावत ने अपने समर्थकों के साथ पहुँचकर अपना समर्थन व्यक्त किया. इसके साथ ही राजस्थान समग्र सेवा संघ, राजस्थान नागरिक मंच, लोक संघर्ष मोर्चा, जमात-ए-इस्लामी हिन्द, सांगानेर विकास नागरिक मंच सहित जयपुर और राजस्थान के अन्य संगठनों ने भी अपना समर्थन जवाबदेही आन्दोलन को दिया ।