फ़िरोज़ खान बारां , ( राजस्थान ) 8 जून । कलौनी में 4 सहरिया परिवार ऐसे है जिनके पास आज भी रहने को मकान नहीँ है । और यह परिवार आज भी घास फूंस की टापरियो में अपने परिवार व् जानवरों के साथ अपना जीवन बसर कर रहे है । सहरिया महिला चिन्जो पत्नी शिवचरण ने बताया कि बस्ती के बहार खेतों में सरकारी भूमि पर एक टापरी बना रखी है । जिसमे इनके दो बच्चे सुखपाल व् निरमा तथा शिवचरण व् एक गाय के साथ इस टापरी में करीब 20 वर्षो से रह रहे है । उसके बावजूद भी आज तक इनका चयन बीपीएल में नहीँ हुआ और ना ही 2011 के सर्वे में इनका नाम है । आखिर यह गलती इस परिवार की है, या फिर सर्वे करने वालो की अब इसका दोष किसको दिया जाये । इस परिवार के दोनों बच्चे स्कूल पढ़ने जाते है । सुखपाल कक्षा 6 में व् निरमा 7 वीं में पढ़ती है । निरमा विकलांग भी है । और उसके बावजूद भी पैदल चलकर मामोनी में पढ़ने आती है । चाहे बरसात हो या गर्मी तथा सर्दी हो हर मौसम में हर हाल में यह परिवार इस टापरी में काफी वर्षो से रह रहे है । महिला ने आप बीती सुनाते समय आँखों से आँसू झलक रहे थे । इसी तरह बुद्धाराम पुत्र असडीया (50 ) व् तुलसी पुत्र प्यारे (75 ) तथा रत्ती पुत्र चहरी को आज तक भी किसी भी सरकारी योजना में इन व्यक्तियो को आवास नही मिला है । जबकि इसी सहरिया कॉलोनी में 29 सरकारी आवास है । और यह सभी आवास स्वच्छ परियोजना के माध्यम से बनाये गए थे । जिनकी छतो पर सीमेंट के चदर डाल कर इनको रहने के लाइक तो बना दिया, मगर बनाते समय इस बात का ध्यान नही रखा गया की यह सीमेंट के चदर कब तक चलेंगे । और आज प्रत्येक आवास बारिश के मौसम में टपकते है । कई आवासों के चदर टूट चुके है । आवासहीन लोगो के सम्बन्ध में जब विकास अधिकारी सुधीर पाठक से बात की तो बताया कि सरकारी आवास या तो बीपीएल हो या फिर 2011 के सर्वे में इन परिवारो का नाम हो तभी इनको आवास का फायदा मिल सकता है । जब 2011 की सूची देखी गयी तो इस सूची से इन परिवारों का नाम नहीँ था ।