अंगूठा लगे तो मिले राशन

पीओएस मशीनें बनीं लोगों के लिए आफत

बारां के प्रीतम सहरिया
बारां के प्रीतम सहरिया
फ़िरोज़ खान बारां, ( राजस्थान ) । जयपुर, 7 जून
प्रदेश में पीओएस (पॉइंट ऑफ़ सेल) मशीन राशन उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत बनी हुई है. रजिस्टर पर अंगूठे का निशान लगाकर जो राशन सामगी आसानी से मिल जाती थी उसी राशन सामग्री को प्राप्त करने के लिए बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं और उसके बाद भी यह सुनिश्चित नहीं कि राशन मिल पायेगा. मशीन में इन्द्रज नहीं होने से उपभोक्ताओं को वापस लौटा दिया जाता है. सूचना एवं रोज़गार अभियान, राजस्थान द्वारा पिछले 1 जून से दिए जा रहे ‘जवाब दो’ धरने के आज 7वें दिन कई जिलों से आये लोगों ने अपनी यह पीड़ा बयां की.
उल्लेखनीय है कि खाध्य विभाग की ओर से राशन की दुकानों से राशन वितरण व्यवस्था हाल में पीओएस मशीन से की गयी है लेकिन जमीनी स्तर पर यह व्यवस्था लोगों के निवाले में आड़ बन रही है. मशीनों की धीमी गति, उपभोक्ताओं के फिंगर-प्रिंट मिलान नहीं होने और दूरस्थ गाँवों में नेटवर्क कमजोरी को लेकर आम जन को सरकारी सब्सिडी का गेंहूँ, केरोसिन, और शक्कर नहीं मिल पा रही है. एक उपभोक्ता को पीओएस मशीन से राशन सामग्री देने में समय ज्यादा लग रहा है.
बारां जिले के किशनगंज तहसील के सुंडा चैनपुरा गाँव के प्रीतम सहरिया का कहना था कि उसका अन्त्योदय कार्ड बना हुआ है. पहले उसे 35 किलो गेंहू मिलता था लेकिन जब से पीओएस मशीन से राशन मिलना शुरू हुआ है एक बार भी उसे राशन नहीं मिला है. राजसमन्द जिले के आमेट गाँव की सुशीला खटीक ने कहा कि उसके परिवार का एपीएल कार्ड बना हुआ है हमने एक बार भी राशन नहीं लिया इसके बाद भी 25 मई को मोबाइल पर मेसेज आया कि आपके द्वारा मई माह का मिटटी का तेल, गेंहू प्राप्त कर लिया गया है.
राजसमन्द की सुशीला
राजसमन्द की सुशीला
सुशीला का कहना था कि जब मैंने राशन लिया ही नहीं तो मेरे नाम का राशन किसने उठा लिया. पंचायत समिति बाली (जिला पाली) के चाम्देरी ग्राम पंचायत के चुन्नी लाल का कहना था कि उन्हें दो महीनों में एक बार राशन मिलता है. साथ ही कई शिकायतें ऐसी भी आईं जिनमें उपभोक्ताओं को तय मात्रा के अनुरूप पूरा राशन नहीं दिया जा रहा है.

विकलांग आन्दोलन से भी मिला समर्थन
विकलांग आन्दोलन 2016 के साथियों ने भी आज धरना स्थल पर पहुँच कर ‘जवाब दो’ धरने को अपना समर्थन दिया. इस आन्दोलन के रतन लाल बैरवा, देव प्रकाश शर्मा, अनिल जैन, प्रियंका जैन, शरद त्रिपाठी तथा अन्य साथियों का कहना था कि सत्रह दिनों से हम विभिन्न मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं लेकिन सरकार हमारी सुन नहीं रही है. लगता है कि सरकार भी हमारी तरह सरकार गूंगी और बहरी हो गयी है. भले ही सरकार ने हमारा नाम बदलकर विकलांग से ‘दिव्यांग’ कर दिया हो पर नाम बदलने से क्या होगा? सरकार को अपना काम बदलने की ज़रुरत है.

राशन पर प्रदेश-स्तरीय जन सुनवाई कल; प्रेस वार्ता कल 4 बजे
अभियान से जुड़े कमल टांक ने बताया कि कल दिनांक 8 जून को धरना स्थल शहीद स्मारक पर राशन वितरण में आ रही समस्याओं पर प्रदेश-स्तरीय जन-सुनवाई का आयोजन होगा. इस जन सुनवाई में दिल्ली की उषा रामनाथन (स्वतंत्र कानूनी शोधकर्ता), जाने-माने पत्रकार नीलाभ मिश्रा, अरुणा रॉय, कविता श्रीवास्तव, निखिल डे सहित कई प्रबुद्ध जन शामिल होंगे. जन सुनवाई में प्रदेश भर से प्राप्त राशन से जुडी शिकायतों पर सुनवाई होगी.

error: Content is protected !!