शिक्षा के सवाल पर हुआ जनमंच, राजनीतिक दलों से माँगा जवाब

भाजपा ने किया जनमंच से किनारा, आमंत्रण के बाद भी नहीं पहुंचा कोई प्रतिनिधि
स्कूलों में PPP मॉडल के तहत निजीकरण को बढ़ावा न दे सरकार
सरकारी कर्मचारियों/अधिकारीयों के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ें
शिक्षकों के रिक्त पद तुरंत भरे सरकार

image2-1शिक्षा के सवाल पर आज लगातार दूसरे दिन शहीद स्मारक पर दिए जा रहे ‘जवाब दो’ धरना स्थल पर हुई जनसुनवाई में प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर आमंत्रित कर प्रदेश भर से आये लोगों ने शिक्षा के सवाल पर जवाब माँगा. इन प्रतिनिधियों से PPP मॉडल के तहत सरकारी स्कूलों के निजीकरण, शिक्षकों की भारी कमी और इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय की तर्ज़ पर सभी सरकारी सेवकों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाने की बाध्यता पर उनके दलों का रुख जाना. इस जन मंच में कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष अर्चना शर्मा, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के डी के छंगाणी, बहुजन समाज पार्टी के मुकेश मेघवंशी, कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सिस्ट) के संजय माधव ने भागीदारी निभाई जबकि आमंत्रण देने के बावजूद भी सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी से एक भी प्रतिनिधि जनमंच में नहीं पहुंचा. भाजपा का नहीं आना यह दर्शाता है कि सरकार के लिए शिक्षा का मुद्दा कोई प्राथमिकता ही नहीं रखता.

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के डी के छंगाणी ने कहा कि सरकारों में इच्छा-शक्ति के अभाव का नतीजा है कि आज सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है. उन्होंने कहा कि यह कमी नीतिगत खामियों की वजह से है न कि संसाधनों की कमी से. कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता अर्चना शर्मा ने कहा कि आज न सिर्फ प्रदेश में 70,000 शिक्षकों की कमी है बल्कि सरकार ने स्टाफिंग पैटर्न में जो बदलाव किये हैं उनकी वजह से आने वाले दिनों में एक लाख से भी ज्यादा शिक्षक सरप्लस हो जायेंगे और इनका हवाला देकर सरकार अपने कार्यकाल में कोई नई भर्तियाँ नहीं करेंगी.

इस जनसुनवाई में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट पेश की गयी. रिपोर्ट में जो आंकडें सामने आये वे काफी चौंकाने वाले हैं.

पांच हज़ार स्कूलों को बंद करने की हुई तैयारी
प्रदेश में 14 अगस्त 2014 को 17000 से भी अधिक स्कूलों को समानीकरण और एकीकरण के नाम पर बंद कर दिया गया था और सरकार ने द्वितीय चरण में करीब 5000 सरकारी स्कूलों को बंद करने की योजना बना रही है. इसमें करीब4373 प्राथमिक विद्यालय व 83 उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का प्रस्ताव रखा है.

न पीने का पानी, न बिजली और न ही शौचालय
सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 1871 विद्यालयों में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है जबकि 24000 स्कूलों में क्रियाशील शौचालय नहीं है. 47,756स्कूलों में बिजली के कनेक्शन भी नहीं है. 14,388 स्कूल ऐसे हैं जो सिर्फ एक अध्यापक के भरोसे चल रहे हैं.

90 फीसदी लोगों ने माना सरकारी स्कूलों में पढ़ें बच्चे
आज सूचना रोज़गार अभियान की ओर से जयपुर शहर में एक जनमत-संग्रह किया गया. शहर के लगभग डेढ़ हज़ार लोगों से सवाल किया कि क्या सरकारी अधिकारीयों, कर्मचारियों, अध्यापकों व जन-प्रतिनिधियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढना अनिवार्य होना चाहिए. इसके जवाब में 90 फीसदी लोगों ने कहा कि हाँ ऐसा होना चाहिए तब ही सरकारी स्कूलों की दयनीय दशा सुधर पायेगी.

फ़िरोज़ खान बारां राजस्थान

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