आषाएं उतरी सड़क पर, रैली व प्रदर्षन कर सौंपे ज्ञापन

स्थाईकरण की मांग को लेकर देंगी ज्ञापन

baran samacharफ़िरोज़ खान बारां, ( राजस्थान ) 17 जून।
आषाओं को केंद्र सरकार से जोड़कर स्थाईकरण करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर षुक्रवार को आषाएं सड़क पर उतर आई। उन्होंने जिलाध्यक्ष आषा सिंघल की अगुवाई में व भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले रैली निकालकर व प्रदर्षन कर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद भाजपा के बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन स्थल पर भी प्रदर्षन कर सांसद दुश्यंत सिंह व मंत्री युनूस खान को समस्याएं बताई और ज्ञापन सौंपे। आषा सहयोगिनी कर्मचारी संघ व भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले जिलेभर से आई आषाएं सुबह खाकी खाकी बाबा की बगीची में एकत्रित हुई। जहां से जिला महामंत्री सत्यनारायण षर्मा के सानिध्य में रैली के रूप में नारेबाजी करती हुई दीनदयाल पार्क, प्रताप चैक, धर्मादा चैराहा, अस्पताल रोड़, जनता सिनेमा की गली, स्वास्थ्य भवन व स्टेषन रोड होते हुए चारमूर्ति चैराहा पहंुची। इसके बाद वाहनों से मिनी सचिवालय पहुंचकर प्रदर्षन किया तथा जिला कलक्टर को विभिन्न मांगों का ज्ञापन सौंपा। आषा सहयोगिनियों का उत्साह इतने मंे ही षांत नहीं हुआ और वे चिलचिलाती धूप व भीशण गर्मी की परवाह किए बगैर मांगरोल रोड बाईपास स्थित मिलन रिसोर्ट पहुंची। जहां भी काफी देर तक प्रदर्षन कर सांसद व मंत्री को ज्ञापन सौंपे तथा मांगे रखी। मंत्री ने उनकी समस्याओं पर गौर किया तथा सीएम को अवगत कराने का आष्वासन दिया। रैली व प्रदर्षन में निर्मला सिंह, ममता तलेटिया, राजेष षर्मा, गीता प्रजापति, षबीना, निर्मला षर्मा, तारा रानी, सुनिता सेन, उमा यादव, हेमलता सुमन, अनुसूईया मीणा, रिंकू, इंद्रा सुमन, सीमा रानी समेत जिलेभर से बड़ी संख्या में आषाएं षामिल थी।
यह रखी मांगे-
जिलाध्यक्ष सिंघल ने बताया कि सरकार द्वारा हाल में ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की घोशणा की जा चुकी है। लेकिन आंगनबाड़ी की महत्वपूर्ण कड़ी आषा सहयोगिनी होने के बावजूद उसे उपेक्षित कर दिया है। जबकि उसके बिना आंगनबाड़ी का कोई कार्य नहीं हो पाता हैं। क्योंकि आषा सहयोगिनी ही सर्वे से लेकर टीकाकरण, मेडिकल जांच, किषोरी बालिकाओं को आयरन एवं विटामिन की गोलियां देने, प्रसूता महिलाओं के प्रसव कराना, नसबंधी व महिला-पुरूशों का नसबंधी कराने के लिए प्रेरित करना आदि का कार्य करती है। इसके अलावा टीबी के मरीजों को खुराक देने, भामाषाहा कार्डों का वितरण, नषामुक्ति, मौसमी बीमारियों का सर्वे करना आदि कई कार्य हैं, जो आषा सहयोगिनियांे के द्वारा ही कराए जाते हैं। जबकि उन्हें मात्र 1600 रूपए प्रतिमाह का मानदेय दिया जाता है। जबकि एक नरेगा मजदूर का इससे कहीं अधिक है।

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