अभी भी दलित झेल रहे हैं अत्याचार

दलित एवं वंचित वर्गों के मुद्दों पर हुई राज्य-स्तरीय जनसुनवाई; प्रदेश भर से आये दलितों ने कहा नहीं सहेंगे अत्याचार

jaipur samacharजयपुर, 20 जून / चित्तौडगढ़ जिले के बलाराडा, नंगाखेड़ा, भरजाली, कूथना गाँवों में दलित समुदाय के लोगों ने जब बाबा रामदेव का मंदिर बनाना चाहा तो गाँव के दबंग लोगों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया. न केवल मंदिर को तोड़ा गया बल्कि उनके साथ मार-पीट भी की गयी. डूंगला तहसील के किसन करेरी में बन रहे सार्वजनिक मंदिर में दलितों से चंदा लेने में भी भेद-भाव किया गया. इसी तहसील के करसाना गाँव में भागवत कथा आयोजन में जब दलित समुदाय का चंदा लेने से मना किया गया तो दलित समुदाय के लोगों ने संगठित होकर तय किया कि यदि हमारा चंदा नहीं लिया जायेगा तो भागवत कथा का आयोजन भी नहीं होने देंगे. दलितों की यह एकता गैर-दलितों के गले नहीं उतरी और उन्होंने गाँव में हो रही भागवत कथा ही रोक दी. प्रदेश में हो रहे दलितों के साथ ऐसे भेद-भावपूर्ण रवैये के मामले आज शहीद स्मारक पर आयोजित हुई जनसुनवाई में सामने आये.

गौरतलब है कि पिछले 1 जून से शहीद स्मारक पर धरने का आयोजन किया जा रहा है. इस धरने की प्रमुख मांग सरकारी तंत्र की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक पुख्ता कानून बनाने और साथ ही नरेगा, राशन, पेंशन, शिक्षा, स्वास्थ्य, खनन और वन अधिकार, दलित एवं महिला अधिकार सहित कई अन्य मुद्दों पर प्रतिदिन सुनवाई की जा रही है. धरने में शामिल प्रदेश के कोने-कोने से आ रहे लोग इन मुद्दों पर राज्य सरकार से जवाब मांग रहे हैं. इसी कड़ी में आज दलितों एवं वंचितों के मुद्दे पर राज्य-स्तरीय जनसुनवाई हुई. इस जनसुनवाई में NFIW की राष्ट्रीय महासचिव एनी राजा, प्रसिद्द समाजशास्त्री सतीश देशपांडे, दलित मानवाधिकारों के राष्ट्रीय अभियान की बीना, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय, राष्ट्रीय घुमंतू, अर्ध-घुमंतू एवं विमुक्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष बालकृष्ण रिनके आदि मौजूद थे.

जनसुनवाई में आये लोगों का कहना था कि घोड़े पर बिन्दोली न निकालने देना, सार्वजानिक कुओं और अन्य स्त्रोतों से पानी न लेने देना, मार-पीट और अत्याचार, महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या, गाँव से बाहर निकाल देना, आर्थिक एवं शारीरिक शोषण आदि ऐसी कई समस्याएं हैं जो आज भी प्रदेश में दलितों को झेलनी पड़ रही हैं.

13 साल से जारी है संघर्ष
जयपुर से मात्र 35 किमी. दूर है गाँव निमोड़ा. इस गाँव के भंवर लाल पिछले 13 साल से मंदिर प्रवेश, सार्वजनिक नल से पानी भरने व मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे हैं. दलित वर्ग के भंवर लाल ने 2003 में गाँव में बने सार्वजानिक मंदिर में प्रवेश करना चाहा लेकिन गाँव के कुछ दबंग लोगों ने उसे रोक दिया. इसके बाद भंवर लाल ने खुद ही मंदिर बनाने की कोशिश की तो इन दबंगों ने उस पर 21,000 रुपयों का जुर्माना ठोक दिया और वर्ष 2005 में मार-पीट कर उसके परिवार को गाँव से निकाल दिया. अपने ऊपर हुए इस अत्याचार की गुहार पुलिस थाने से लेकर न्यायालय तक के दरवाज़े खटखटाए लेकिन उसे कहीं भी न्याय नहीं मिला.

दलित मानवाधिकारों के राष्ट्रीय अभियान की बीना ने कहा कि नागरिक अधिकार कानून हो या दलितों पर अत्याचार रोकने के लिए बने कानून ये दलितों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने में नाकाम रहे हैं. उन्होंने कहा कि न सिर्फ दलित बल्कि गैर-दलितों को भी इस लड़ाई में साथ आना होगा और डॉ. अम्बेडकर के पदचिन्हों पर चलते हुए हम दलितों के हकों को पाकर ही रहेंगे. प्रसिद्द समाजशास्त्री सतीश देशपांडे ने इस अवसर पर कहा कि जाति की समस्या किसी एक समुदाय की नहीं है बल्कि हम सबकी है. उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था का हमारे समाज में होना कोई महज़ संयोग नहीं है बल्कि यह सदियों से चली आ रही शक्ति और सत्ता की राजनीति का परिणाम है और ये दुखद है कि आज़ादी के इतने सालों बाद भी हम इसे सुलझाने की ओर कोई बहुत बड़ी सफलता हासिल नहीं कर पाए हैं. NFIW की राष्ट्रीय महासचिव एनी राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री दलित लोगों को गुमराह कर रहे हैं देश में हो रहे दलित अत्याचारों पर उन्होंने चुप्पी साध ली है. उनके मंत्री खुलेआम बयानबाजी कर रहे हैं और प्रधानमंत्री इन मुद्दों पर अपना मुंह नहीं खोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर प्रवेश का जो रास्ता आज तृप्ति देसाई ने दिखाया है उसे हमें आगे लेकर जाना है. उन्होंने आह्वान किया कि हमें मंदिर प्रवेश के लिए फिर से पूरे देश में एक अभियान चलाना होगा.

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रदेश अध्यक्ष प्रेम शंकर यादव ने भी धरने में पहुंचकर अपना समर्थन दिया. साथ ही माहिती अधिकार पहल, गुजरात की पंक्ति जोग और माहिती अधिकार मंच मुंबई के भास्कर प्रभु ने भी अपना समर्थन दिया.

सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान की ओर से
मुकेश – 9468862200, कमल – 9413457292, बाबूलाल नागा – 9829165513

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