सेवा समाप्ति से पूर्व अधिनियम, 1989 व नियम, 1993 की प्रक्रिया की पालना आवश्यक

पी.टी.आई. की सेवा समाप्ति के आदेश को निरस्त करते हुये व्यवस्था दी कि सेवा समाप्ति से पूर्व अधिनियम, 1989 व नियम, 1993 की प्रक्रिया की पालना आवश्यक है।
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण का मामला)

jaipur samacharजयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर के पीठासीन अधिकारी रामसिंह मीना ने प्रबन्ध समिति, विरजानन्द सीनियर सैकण्डरी स्कूल, केसरगंज, अजमेर के पी.टी.आई. के पद पर कार्यरत वीरेन्द्र नाथ वशिष्ट की सेवा समाप्ति आदेश को निरस्त करते हुये अपीलार्थी को सभी लाभ-परिलाभ सहित सेवा में पुनः बहाली के आदेश दिये है। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी की नियुक्ति दिनांक 01.01.1990 को अप्रार्थी संस्था में पी.टी.आई. के पद पर हुई थी तथा दिनांक 16.05.2015 को मौखिक आदेश से सेवायें समाप्त कर दी। प्रार्थी के अधिवक्ता डी. पी. शर्मा का तर्क था कि सेवा समाप्ति से पूर्व न तो 6 माह का नोटिस दिया और ना ही उसके बदले 6 माह का वेतन दिया तथा सेवा समाप्ति से पूर्व शिक्षा निदेशक से सेवा समाप्ति की अनुमति भी नहीं ली। विपक्षी संस्थान की ओर से तर्क दिया कि प्रार्थी अनुबन्ध पर नियुक्त किया गया था, अतः अनुबन्ध समाप्ति के पश्चात् किसी प्रकार की कार्यवाही करने की आवश्यकता नहीं थी तथा यह भी तर्क दिया कि प्रार्थी ने पुनः सेवा प्राप्ति हेतु आवेदन किया परन्तु असफल रहा। अतः उसे पुनः बहाली का कोई अधिकार नहीं है। प्रार्थी के अधिवक्ता ने न्यायालय का ध्यान राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ के निर्णय की ओर आकर्षित किया जिसमें यह व्यवस्था दी गई कि ग्रीष्मावकाश का वेतन बचाने हेतु हर साल सेवा समाप्ति करना तथा पुनः नियुक्ति देना मनमाना कृत्य है तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय राजकुमार बनाम निदेशक की ओर आकर्षित किया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि विधि के प्रावधानों की अनुपालना करना आवश्यक है। अतः विपक्षी संस्थान के द्वारा सेवा समाप्ति से पूर्व राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 की धारा 18 व राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था नियम, 1993 के नियम 39 की पालना करना आवश्यक था जिसके तहत यह व्यवस्था है कि किसी कर्मचारी की सेवा समाप्ति से पूर्व उसे सुनवाई का अवसर दिया जाना आवश्यक है तथा उसे सेवा समाप्ति से पूर्व 6 माह का नोटिस या उसके बदले में वेतन दिया जाना आवश्यक है तथा सेवा समाप्ति से पूर्व शिक्षा निदेशक की अनुमति आवश्यक है परन्तु विपक्षी संस्थान के द्वारा ऐसी किसी प्रक्रिया की पालना नहीं की गई। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने प्रार्थी के सेवा समाप्ति के आदेश को निरस्त करते हुये सभी लाभ-परिलाभों सहित पुनः सेवा में बहाली के आदेश दिये।

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