सृजनधर्मी मंगल सक्सेना नहीं रहे

मंगल सक्सेना
मंगल सक्सेना
जयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव, जाने माने कवि, पत्रकार और नाट्य जगत की हस्ती ‘मंगल सक्सेना’ का शुक्रवार यहाँ देहावसान होगया। अस्सी वर्षीय सक्सेना कुछ अर्से सै बीमार चल रहे थे।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी, सक्सेना के काव्यसंग्रह ‘मैं तुम्हारा स्वर’ और ‘कपट का सीना फाड़ो’ प्रकाशित हुए। उन्होंने कोई दो दर्जन से ज्यादा
नाटक निर्देशित किये। और इतने ही नाटक लिखे भी। कोई तीस से अधिक नाट्य शिविर लगाकर 2500 से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया।
वर्ष 1964 – 67 में राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। इन्हें विशिष्ट साहित्यकार के स्वरुप 1984 – 85 में सम्मानित भी किया गया। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला और उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद की संचालिका में भी मनोनीत किया गया।
इनका कहना था कि, “साहित्य स्रजन में मैं अपने अनुभव को अभिव्यक्त करने की उद्दाम को ही स्रजन का आधार मानता हूँ। मैं उन्हीं रचनाओं को रचता हूँ जो मानवता को गरिमा देनेवाली हों।”
सक्सेना को राजस्थान साहित्य अकादमी, नगर परिषद, अजमेर, जिला प्रशासन बाडमेर सहित कई जगह पुरस्कृत किया या। इन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड 2001 – 2002 और राजस्थान विद्यापीठ उदयपुर से साहित्य निधी सम्मान मिला। सक्सेना ने केवल यहीं अपनी विधा नहीं दिखाई, बल्कि, बाल साहित्य में भी अपना योगदान दिया। राजस्थान पत्रिका के रविवारीय परिशिषट 8 मई 2005 में प्रकाशित कविता, ‘प्यार का रिश्ता’ को लेकर पत्रिका ने अपने स्रजनात्मक साहित्य पुरस्कार से भी नवाजा।
शमेन्द्र जडवाल
शमेन्द्र जडवाल
भारतीय लोक कला मण्डल, ने अपना मानद आजीवन सदस्य के रुप में इन्हें चुना। सक्सेना कि जन्म बीकानैर में हुआ, उनकी पहली कविता पत्रिका में छपी।छात्र राजनीति मे रहते भी, छखत्रसंघ की संगीत नाटक समिति के अध्यक्ष रहे।उनके ‘पराग’ रंगमंचीय नाटक, ‘चंदा मामा की जय’ को प्रथम पुरस्कार मिला। 1967 में अ जमेर आगये, यहाँ दयान्द महाविद्यालय से समाज शास्त्र विषय में एम एकिया।
28 फरवरी 1968 में उदयपुर के प्रयोगधर्मी चित्र सन् 84 कारों की संस्था, ‘टखमण’ – 28 गठित की। सन् 84 से 87 तक वे राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के अध्यक्ष रहे। देहावसान पर अनेक जगह इनसे जुड़े अनेक कलाकारों और संस्थाओं ने इन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये हैं।

शमेन्द्र जड़वाल

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