-बाबूलाल नागा- राजस्थान के झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ तहसील भवन के सामने किसान अपनी उपजाऊ जमीन बचाने के लिए 6 साल से धरने पर बैठे हैं। इन किसानों की 72 हजार बिघा जमीन नवलगढ़ में प्रस्तावित बांगड़-बिरला के सीमेंट प्लांटों में जा रही है। कई बार बंद, प्रदर्शन, रैली और धरने जैसे आयोजन कर सरकार को चेतावनी दे चुके हैं। किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि बांगड़-बिरला सीमेंट प्लांटों को रद्द किया जाए। मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देते हुए एक बार पुनः कहा है कि हम अपनी जान दे देंगे, लेकिन किसी भी सूरत में अपनी जमीन कंपनियों को नहीं देंगे। नवलगढ़ के निवासी पहले भी कई बार राज्य सरकार से अपनी जमीनें बचाने के लिए गुहार कर चुके हैं।
नवलगढ़ एसडीएम कार्यालय के सामने पिछले 6 सालों से लगातार धरने पर बैठे हुए हैं। जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों के तैयार न होने के बावजूद सरकार लगातार एकतरफा कार्यवाही करती जा रही है। श्री सीमेंट, अल्ट्राटेक सीमेंट और इंडिया सीमेंट लिमिटेड प्लांट और खनन के लिए नवलगढ़ की लगभग 72,000 बीघे भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित हैं। इस 72,000 बीघे में 18 गांव-ढाणियां हैं जिनमें 45,000 से भी ज्यादा लोग पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। यह जमीनें न सिर्फ उनकी जीविका का साधन है बल्कि उनके अस्तित्व की पहचान हैं। प्रस्तावित भूमि बहुफसलीय भूमि है जिसको प्रशासन द्वारा बंजर दिखाने का भी प्रयास किया गया। बहुफसलीय जमीनों के साथ शमशान घाट, आम रास्ते, तीर्थ स्थल, गोचर भूमि भी श्री सीमेंट कंपनी के लिए रिको के नाम की जा चुकी है। इनके अलावा पर्यटन स्थल, पर्यावरण, जोहड़, खेजड़ी, मोर इत्यादि को हानि पहुंचेगी। इस भूमि अधिग्रहण में 45,000 लोगों के विस्थापन से इस पूरी आबादी का अस्तित्व संकट में आ जाएगा। अधिग्रहण में जा रही इस जमीन का लगभग 83 प्रतिशत हिस्सा कृषि भूमि का है और यहां के निवासी मुख्यतः किसान हैं।
इस अधिग्रहण के प्रस्ताव के समय से ही किसान अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं जिसके बावजूद प्रशासन बिना किसानों की सहमति और मुआवजा उठाए ही उनकी जमीनें राजस्थान इंडस्ट्रियल इंवेसटमेंट कॉर्पोरेशन (रिको) के नाम कर चुका है जो कि संविधान का प्रत्यक्ष उल्लंघन है। प्रशासन द्वारा लगातार इलाके में समाचार-पत्रों के माध्यम से यह खबर फैलाकर कि बहुत जल्द इस क्षेत्र को जबरन खाली करा दिया जाएगा किसानों को डराने का प्रयास किया जा रहा है। प्रशासन लगातार इस कोशिश में है कि किसान डर कर अपना आंदोलन छोड़ दें जबकि किसान इस बात के लिए दृढ़ संकल्प हैं कि वह जान दे देंगे किंतु अपनी जमीनें नहीं छोड़ेंगें। इस आंदोलन में वृद्ध से लेकर गांव के बच्चे और महिलाएं सभी सक्रिय हैं। छह साल से अपना आंदोलन शांतिपूर्वक लड़ रहे यह किसान अपने देश के संविधान में पूरी तरह से भरोसा करते हैं और संविधान के तहत दिए गए अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत ही अपने विरोध को दर्ज करवा रहे हैं। किंतु प्रशासन सभी संवैधानिक प्रावधानों को दर किनार कर चंद उद्योगपतियों के मुनाफे के लिए हजारों परिवारों के जीवन की बलि चढ़ाने पर तुला हुआ है।
भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति, नवलगढ़ तथा प्रभावित किसानों ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण तत्काल रद्द किया जाए। रिको के नाम दर्ज की गई जमीनों को वापस किसानों के नाम पर दर्ज किया जाए। प्रशासन द्वारा किसी भी जबरन कार्रवाई की योजना की जांच कर उसको तुरंत रुकवाया जाए। रिको तथा कंपनियों के पक्ष में जमीनों की गलत रिपोर्ट बनाकर प्रस्तुत करने वाले कर्मचारियों तथा अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जाएं।
(लेखक विविधा फीचर्स के संपादक हैं)