बस खता ये है मेरी मैं कष्मीर हूं

dolmela56(फ़िरोज़ खान)बारां, 23 सितम्बर। ‘उम्र भर बस यूं ही मुस्कुराते रहो, मैं गज़ल हूं मुझे गुनगुनाते रहो, बेवफाई का लम्हा न मिल पाएगा, जिन्दगी भर हमें आजमाते रहो‘ जैसी गजल से मेरठ की षायरा उज्मा परवीन ने फिजां को रूमानियत से सराबोर कर दिया।

नगर परिशद के तत्वावधान में डोल मेला रंगमंच पर गुरूवार रात को आयोजित अखिल भारतीय मुषायरे में देष के जाने माने षायरों ने अपने कलाम पेष करते हुए सियासत और मुहब्बत के रंगों को उजागर किया तो कभी कष्मीर के हालातों को जिक्र उठाया। उम्दा षेरो-षायरी से षायरों ने श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा।

षायरा परवीन ने ‘आपके आने जाने से लगता है दिल, है इजाजत तुम्हें आते जाते रहो, रूठ जाना हमारा बहाना ही तो है, मान जाएंगे हम तुम मनाते रहो‘ गज़ल से समां को मुहब्बत की खुषबू से महकाया। गांधीगंज के षहजादा कलीम खाने ने खंू मंे डूबी हुई षमषीर, बस खता ये है मेरी मैं कष्मीर हूं‘ नज़्म से कष्मीर के दर्द का षिद्दत से इजहार किया। वहीं ‘होंठों पर कुरआन है हाथों में तस्वीह के दाने, अम्न की तब्लीग है करते अल्लाह के दीवाने, गोली बम बारूद सब हैं जेहनी, जेब में सिर्फ मिलेगी, इक मिस्वाक की टहनी‘ जैसे मिसरों के साथ ‘अब मत कहना हैं ये फसादी दाढ़ी टोपी वाले‘ नज्म से श्रोताओं के दिलों का छुआ। साथ ही ‘मेरे हाथों मंे चाहत की रेखा नहीं अब तक, कोई खत या संदेषा नहीं अब तक, में उनकी चाहतों की जद मंे आकर षायर बन गया यारों, इन आंखों में जिसने एक बार भी नहीं देखा अब तक‘ जैसे षेरों से इष्क के जज्बातों को उकेरा। परीक्षितगढ के अली वारिस ने ‘हम ऐसे लोगों को दिल से सलाम करते हैं, सुनहरी यादों का जो एहतमाम करते हैं, मिली है जिनके बदौलत ये आजादी, ये षाम उन षहीदों के नाम करते हैं‘ जैसे षेरों से षहीदों को याद किया। वहीं ‘रुख ए रोषन को जुल्फें हटा दो, अब अंधेरे डराने लगे हैं, चंद पल की मुहब्बत को भी, भूलने में जमाने लगे हैं‘ गज़ल से जज्बात ए दिल बयां किए। इमरान मांगरोली ने ‘इस तरह मजाहिद नहीं होती, कत्ल करने जैसी तो षिद्दतें नहीं होती, मुल्क में फसादों की क्यूं झड़ी लगाते हो, भाईचारे से बढ़कर नफरतें नहीं होती‘ नज़्म से कौमी एकता का संदेष दिया।

मुशायरे में ख्यातनाम षायर मीसम गोपालपुरी फूलपुर, नुसरत मेहंदी भोपाल, मन्नान अहमद जबलपुर, अयूब खान ष्योपुर, रियाज तारिक कोटा इलियास नाज, डॉ. फरीद नक्षबंदी कोटा, यूसुफ‘ रईस झालावाड़ आदि ने भी उम्दा कलामों से श्रोताओं को आनंदित किया। संचालन जिया टांेकी ने किया।

मुषायरे में सेठ उस्मान, लईक भाई, जाकिर मंसूरी, जमील अहमद, फारूख भाई, आबिद भाई बोहरा, वसीम मंसूरी, अब्दुल रषीद कबाड़ी, बबलू मंसूरी, आफाक अहमद आदि अतिथियों के रूप मंे मौजूद थे। मेलाध्यक्ष हरिराज सिंह गुर्जर, पार्शद गौरव षर्मा, षिवषंकर यादव, राहुल षर्मा, रूखसाना बानो, लियाकत अली, अखलाक अंसारी आदि ने षायरों और अतिथियों का स्वागत किया।

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