छात्र पोथी की बजाए झाड़ू थामने को विवश

img-20160924-wa0008अजमेरनामा फलसूण्ड-राज्य एवं केन्द्र ने शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला बनाकर छोड़ दिया है देश के भावी कर्ण धारों का शेक्षणिक भविश्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है बकौल प्रख्यात कवि हरिओम पंवार हर मिट्टी के माधों का सम्मान सुरक्षित रहता है यह पंक्तियां पूर्णतःचरिक्षित हो रही है। केन्द्र सरकार की योजना के तहत आठवीं तक कोई विद्यार्थी अनुतीर्ण हो ही नही सकता आवश्यकता महज इतनी है कि विद्यार्थी का नामांकन भर करवा दिया जाए अब कौन तो पढेगा और कौन पढाएगा जब अनुतीर्ण ही नही करना है तब अध्ययन-अध्यापन की आवश्यकता ही क्या है।
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गुलाबाणियों की ढाणी अभासर ग्राम पंचायत भुर्जगढ़ पं,स, सांकडा मु, पोकरण की बात करे तो यहां नफरी की कमी के चलते विद्यार्थियो के नन्हे हाथों में कलम पोथी की बजाए मजबूरी मे झाडू तगारी पानी कि टंकी टांका से पानी निकाल कर प्यास बुझा रहे हैं। नजर आते है ऐसे में विद्यालय परिसर की साफ सफाई कालांश परिवर्तित घंटी बजाना पानी भरना आदि कार्य नन्हे मुन्हों को करना पडता है। एसे में शिक्षण कार्य बुरी तरह प्रभावित होता है एक तरफ सरकार कहती है कि विद्यार्थियो को शिक्षण के अलावा किसी कार्य में नही लगाया जाए दूसरी तरफ झाडू लगाना ऐसे में कौन पढेगा।

क्या कहते है अभिभावक

बच्चों को स्कूल भेजते वक्त साफ सुथरे कपड़े पहनकर जाते है छुट्टी के बाद जब बच्चे घर आते है तो उनकी शक्ल बदसुरत हो जाती है बच्चों को स्कूल में काम करना पड़ता है इस कारण वे स्कूल जाने से कतराते है फिर भी हम बच्चों को बहला फुसला कर स्कूल भेजते हैं। उन्हे पढाने कि बजाए उनसे काम करवाते है काम के लिए उन्हे एक वॉचमेन रखना चाहिए अगर एेसा ही चलता रहा तो पढ़ाई कैसे होगी पूरी।

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