उद्यमी बोले – भारतीय अर्थ व्यवस्था पर प्रहार है जीएसटी

bikaner samacharबीकानेर ( मोहन थानवी)। बीकानेर; राजस्थान के व्यापारी – उद्यमियों का कहना है कि कुटीर उद्योग सहित छोटे व्यापारियों व उद्यमियों पर जीएसटी एक प्रहार है। जीएसटी लागू होने से घर घर उद्यम करने वाले ग्रामीण तक कर के दायरे में आएंगे। यहां तक की परंपरागत पशुपालक व कृषि-उद्यमी भी जीएसटी के जाल से परे न रह सकेंगे। क्योंकि जीएसटी के तहत कर योग्य बिक्री की मूलभूत सीमा 20 लाख रखी गई है जो बहुत कम है। राजस्थान में कुछ व्यवसायों पर कर नहीं लगता मगर वे भी अब जीएसटी के शिकंजे में हैं । यह भारतीय परंपरागत अर्थ व्यवस्था को जीर्ण शीर्ण कर देने वाला कदम सिद्ध होने की आशंका को इंगित करता है कि गोपालन संबंद्ध कुटीर उद्योग भी इस जीएसटी के दायरे से बाहर नहीं रखे गए। इस संकट से जूझ रहे मावा; भुजिया पापड़ रसगुल्ला व अन्य उद्योगों को जीएसटी से परे रखने व अन्य व्यापार उद्योगों को 20 लाख की नहीं 1 करोड़ से अधिक बिक्री कर छूट की दरकार है । इस आशय का मांग पत्र बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल; बीकानेर मावा संघ ने वित्त मंत्री को भेजा है। मंडल पदाधिकारियों ने आत प्रेस कान्फ्रेन्स रखी जिसमें विभिन्न व्यापार संघों के प्रतिनिधियों ने अपने व्यापार क्षेत्र की जीएसटी संबंधी समस्याएं बताई व सरकार से समाधान की गुहार लगाई। ज्ञापन में सचिव कन्हैयालाल बोथरा सहित हेतराम गौड़; शंकरलाल हर्ष आदि ने खुदरा व्यापारी व कुटीर उद्योगों को 1 करोड़ की कर सीमा में रखने के तर्क दिए हैं।

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