जन्म शताब्दी मंगल महोत्सव -शोभा यात्रा में हुए अनेक संत-महापुरूष सम्मिलित

लघु कुम्भ सा नजारा, श्री हरिबोल प्रभात फेरियों का महासंगम एवं महाप्रसादी सम्पन्न
परिवार में समर्पण भाव से राष्ट्र का विकास -स्वामी रामदयाल जी महाराज

bhilwara-newsभीलवाडा/अजमेर 18अक्टूबर -भगवा वस्त्रधारी महिलायें-बालिकायें, पुरूष-बालक हाथ में सिन्धु चिन्ह व धर्म ध्वजा पताकायें लिये भगवा टोपी दुपट्टा धारण कर पंक्तिबद्ध चल रहे थे। धार्मिक भजनो व बैण्ड की मधुर धुनो, ढ़ोल नगाड़ो की थाप पर आनंद एवं उत्साह से देश-विदेश के श्रद्धालुओ के कदम बढ़ते जा रहे थे। अवसर था सतगुरू बाबा शेवाराम साहब के जन्म शताब्दी मंगल महोत्सव के उपलक्ष में आयोजित शोभा यात्रा का। विभिन्न प्रकार के बैण्ड, ढ़ोल, ऊँट, घोड़े, राधा कृष्ण गौ सेवा संतो-महात्माओ की झाकियां, श्री झूलेलाल भगवान के बेवाण, कई संतो-महात्माओं की सवारीयॉं आदि शोभा यात्रा को आकर्षक व भव्यता प्रदान कर रही थी। श्री झूलेलाल मंदिर व सिंधुपति युवा संस्थान के सदस्य दोपहिया वाहन पर बढ़ रहे थे। शोभा यात्रा का सभी समाज बिरादरी सहित शहरवासियो द्वारा हार्दिक अभिनन्दन एवं सत्कार किया गया। अलसुबह से ही विभिन्न क्षेत्रो की प्रभात फेरियां शोभा यात्रा में शामिल होने के लिए पहुंची। श्री हरिबोल संकीर्तन करते हुए सभी धार्मिक वातावरण में तल्लीन हुए। सांगानेरी गेट से प्रारम्भ हुई इस शोभा यात्रा में देश भर से पधारे हुए अनेक संत-महापुरूष, श्री महंत, महाण्डलेश्वर, त्यागी, तपस्वी, निर्वाण मण्डल सम्मिलित हुए, जो लघु कुम्भ समान लग रही थी।
शहर के विभिन्न मार्गो पर सैकड़ो स्वागत द्वार बनाये गये तथा कई चौराहो पर विशेष सजावट की गई थी। श्रद्धालुओं हेतु शीतल पेय एवं जलपान की व्यवस्था विभिन्न स्थलो पर की गई। शोभा यात्रा का अनेक धार्मिक, सामाजिक एवं राजनैतिक संगठनो द्वारा पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। दुर्गा वाहिनी एवं विश्व हिन्दू परिषद बजरंग सहित अन्य दलो द्वारा अखाड़ा प्रदर्शन किया गया। सैकड़ो की संख्या में भगवा टोपीधारी श्रद्धालुगण ऐसे लग रहे थे मानो मार्गो पर केसरिया सिन्धु प्रवाहित हो गई हो।
शोभा यात्रा विभिन्न मार्गो से होती हुई हरीशेवा उदासीन आश्रम पहुंची, जहॉ विशाल संत समागम, दर्शन एवं प्रवचन आयोजित हुए।
जगद्गुरू स्वामी रामदयाल जी महाराज ने हरीशेवा उदासीन आश्रम भीलवाड़ा को धर्म की नाक बताते हुए कहा कि यह आश्रम गुरू शिष्य परम्परा का अनूठा उदाहरण है। इस आश्रम में शिव और राम दो संस्कृतियों को जोड़ा है। जब जब राष्ट्र में परिवर्तन आता है मातृ शक्ति ही उत्तरदायी होती है। दूर्गावाहिनी जैसी शक्ति जागी तो हर समस्या भागी। परिवार मे समर्पण भाव हो तो राष्ट्र का विकास होता है।
स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने श्री हरिबोल प्रभात फेरियों के प्रसंग में कहा कि कर्म अगर होता है तो वाणी से ही प्रारम्भ होता है, क्योंकि वाणी प्रथम कर्म क्षेत्र है इसीलिये वाणी से कीर्तन गाओ तो जीव का कल्याण होगा।
महंत चेतनदास जी सांवलिया धाम मुंगाणा ने कहा कि सनातन संस्कृति की रक्षा से ही राष्ट्र की सुरक्षा हो सकती है और यह आयोजन इस क्रम में अति प्रशंसनीय है।
महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने भोजन और भजन के आयोजन को अपने सतगुरूओं की कृपा बताया एवं सभी से सेवा-सुमिरन कर सनातन संस्कृति की रक्षा करने को कहा। संत मयाराम, संत राजाराम ने सभी संतो-महापुरूषो का स्वागत किया। मंच संचालन पं. अशोक व्यास ने किया।
हरीशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन व्यास पीठ से महामण्डलेश्वर जगदीशदास उदासीन महाराज ने महारासलीला प्रसंग, गोपी-उद्धव संवाद, श्री कृष्ण रूकमणी विवाह प्रसंग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अपने से बड़ो एवं माता-पिता का सम्मान, आदर व सेवा करने से इंसान को चार चीजें आयु, यश, बल, बुद्धि की प्राप्ति होती है।
प्रतिदिन की भाँति गुरूओं की समाधि पर श्रद्धालुओं ने शीश निवाया। विशेष रूप से तैयार की गई यज्ञशाला में हवन पूजन, अभिषेक मंत्रोच्चार से हुए। संत समागम में श्रद्धालुओं ने श्रवण दर्शन का लाभ लिया। श्री हरि सिद्धेश्वर मंदिर में भगवान भोलेनाथ का विशेष आकर्षक श्रंगार किया गया। अखिल भारतीय सिन्धु संत समाज ट्रस्ट की कार्यकारिणी की बैठक भी हुई, जिसमें विभिन्न प्रस्तावो पर चर्चा की गई।
रात्रि 8 बजे श्री ठाकुरजी रासलीला में भी आकर्षक व मनमोहक मंचन हुआ। आरती होकर प्रसाद का वितरण हुआ।
आज के विभिन्न आयोजनो में महामण्डलेश्वर कार्ष्णि स्वामी श्री गुरूशरणानंद जी उदासीन, श्रीमहंत महेश्वरदास जी उदासीन, महंत दूर्गादास जी उदासीन, त्यागी बाबा कल्याणदास जी महाराज अमरकंटक, महंत परमानन्द जी उदासीन गुरू का झण्डियाला अमृतसर, बालयोगी उमेशनाथ जी महाराज उज्जैन, महंत बनवारीशरण काठियावाडी, श्रीमहंत आत्माराम जी पटियाला, महंत ब्रह्मऋषि जी मुम्बई, महंत प्रकाशमुनि जी हरिद्वार, महंत दौलतगिरी जी लुधियाना, महंत संतोषदास जी इन्दौर, सांई युधिष्ठर लाल जी रायपुर छ.ग., महंत दर्शनदास जी गांधीधाम, डॉ. श्री बिन्दू जी महाराज ’’बिन्दू’’ नासिक, स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ भानपुरा पीठ, महंत बाबूगिरी जी भीलवाड़ा, महंत श्यामसुंदरदास जी औंकारेश्वर, महंत खड़ेश्वरी जी महाराज, महंत रामसागर जी, महंत बलदेव जी, महंत साधुराम जी हालाणी दरबार अजमेर, संत ओमप्रकाश जी प्रेम प्रकाश आश्रम अजमेर, महंत डॉ. श्यामदास, हाईकोर्ट महंत लक्ष्मणदास ऋषिकेश, श्रीमहंत धर्मदास कपूरथला, दीपक फकीर भावनगर, महंत अमृतमुनि मानसा मण्डी, महंत महात्मामुनि जी कपूरथला, महंत तरूणदास जी हरियाना, महंत ईश्वरदास जी खैरथल, सांई चाण्डुराम जी लखनऊ, महंत स्वरूपदास जी अजमेर, महंत श्यामदास जी किशनगढ़ महंत हनुमानराम उदासी पुष्कर, महंत सत्यानंद उदासी महु, अखिल भारतीय सिन्धु संत समाज ट्रस्ट के पदाधिकारी सदस्य व निर्वाण मण्डल सहित अनेक संत महात्मा सम्मिलित हुए। इस ऐतिहासिक अवसर के कई प्रबुद्धजन एवं गणमान्यजन सहित शहरवासी साक्षी बने।
अजमेर से भारतीय सिन्धु सभा के प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, नरेन शाहणी भगत, प्रकाश जेठरा, स्वामी आत्मदास, स्वामी रामदास, स्वामी ओमलाल जी, भाई फतनदास दादा नारायणदास विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे।
जन्म शताब्दी मंगल महोत्सव के अन्तिम दिन बुधवार को हवन पूजन, संत दर्शन-आशीर्वचन, कथा विश्राम होगी। संतो-महात्माओं व श्रद्धालुओं का भण्डारा होगा। सांयकाल में श्री ठाकुरजी की रासलीला व गुरूओं की तपोस्थली व समाधि पर विशेष पूजन अर्चन होगा। उत्सव समाप्ति का पल्लव होगा।

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