बीकानेर को ऑलिव सिटी के रूप में विकसित करने के होंगे प्रयास

photo-ministerबीकानेर, 20 अक्टूबर। कृृषि, पशुपालन, मत्स्य, गौपालन तथा कृृषि विपणन मंत्राी प्रभुलाल सैनी ने कहा कि बीकानेर को ऑलिव सिटी के रूप में विकसित करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।
कृृषि मंत्राी गुरूवार को सर्किट हाउस सभागार में विभिन्न विभागों की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बीकानेर में ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी जैतून के पौधे लगाये जाएं। उन्होंने अधिकारियों को इस संबंध में महापौर से चर्चा कर प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। कृृषि मंत्राी ने कहा कि जैतून वृृक्षों को सड़क के किनारे व संभव हो तो रोड डिवाइडरों पर भी लगाया जाए, जिससे शहर के सौन्दर्य में अभिवृृद्वि हो सके। इसका यहां आने वाले पर्यटकों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
कृृषि मंत्राी ने कृृषि अधिकारियों को निर्देश दिए कि बीकानेर में पिस्ता खेती करने के भी प्रयास किए जाएं। उन्होंने बताया कि पिस्ते का पौधा तेज गर्मी व सर्दी सहन कर लेता है, इसलिए इसकी बीकानेर में भी पैदावार की जा सकती है। उन्होंने बीकानेर में डेट पाम के पौधों के विषय में जानकारी प्राप्त करते हुए कहा कि कृृषकों को इन्हें अधिक से अधिक लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में स्थान चयनित कर, डेट पाम उत्पादों संबंधी, 125 करोड़ रूपए लागत की प्रोसेसिंग यूनिट लगाए जाने का एमओयू किया जाएगा।
कृृषि मंत्राी सैनी ने कहा कि ओलावृृष्टि, अनावृृष्टि व अतिवृृष्टि के कारण कृृषकों की फसल नष्ट हो जाती है तथा विभिन्न संक्रमण तथा रोगों के कारण भी फसलों को बडे़ पैमाने पर नुकसान पहंुच रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों के समक्ष यह चुनौती है कि प्रदेश की जलवायु के अनुसार पौधों की अनुकूल किस्में विकसित करें। वे इस दिशा में सतत शोध कार्य करते रहें, साथ ही नवीनतम शोध कार्यों व कृषि क्षेत्रा में नवाचारों के बारे में कृषकों को समय- समय पर बताया जाए, जिससे वे लाभान्वित हो सके। सैनी ने निर्देश दिए कि सॉयल हैल्थ टेस्टिंग का कार्य पूर्ण गंभीरता से किया जाए, इस कार्य में लापरवाही करने वाले कार्मिकों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
कृृषि मंत्राी ने बताया कि नवम्बर में आयोजित होने वाली ग्लोबल राजस्थान एग्रीटैक मीट में विश्व के अनेक देशों सहित भारत के सभी राज्यों से किसान, कृषि उद्यमी तथा वैज्ञानिक भाग लेंगे। इस आयोजन से कृषकों को आत्मबल मिलेगा, उनका सशक्तीकरण होगा तथा देश- विदेश के कृषि वैज्ञानिकों के ज्ञान का उन्हें लाभ मिलेगा।
कृषि मंत्राी ने निर्देश दिए कि निमेटोड, व्हाईट फ्लाई व यैलो मौजेक वायरस के संक्रमण से फसलों को बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिक पूर्ण सजगता से कार्य करें। फसलों में जिंक डेफिशिएंसी न हो, इसके लिए प्रयास किए जाएं। फसलों का डायवर्सिफिकेशन किया जाए। परम्परागत खेती के संरक्षण के भी प्रयास किए जाएं। कृषकों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले, इसके लिए सजगता से कार्य किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि पशु चिकित्सक निष्ठा से कार्य करते हुए पशुओं की देखभाल सुनिश्चित करें। पशुओं के स्वास्थ्य की जांच व दवा आदि समय पर दी जानी सुनिश्चित की जाए।
बैठक में बताया गया कि बीकानेर के कृषकों में अनार की खेती के प्रति रूझान बढ़ रहा है। अगस्त माह तक बाजरे की 1 लाख 9719 हैक्टेयर में, मूंग की 25 हजार 126 हैक्टेयर, मोठ की 3 लाख 58 हजार हैक्टेयर, मूंगफली की 1 लाख 95 हजार 626 हैक्टेयर में बिजाई सहित कुल 13 लाख 53 हजार 460 हैक्टेयर क्षेत्रा में खरीफ फसलों की बिजाई की गई है। बैठक में बताया गया कि चिलिंग कम होने के कारण ऑलिव की फ्रूटिंग इस बार कम हुई है।
इस अवसर पर जिला कलक्टर वेदप्रकाश, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.के. गहलोत, कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक एच.एल.मीना, डॉ. सत्यप्रकाश आचार्य, कृषि उपज मण्डी अध्यक्ष सहीराम दुसाद, संयुक्त निदेशक कृृषि डॉ. के सी मीना व डॉ आनन्दस्वरूप, उप निदेशक कृषि विस्तार डॉ उदयभान, डॉ जगदीश पूनिया, डॉ जयदीप दोगने, बिहारीलाल सहित विभिन्न विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
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