‘हम सब मांही सकल हम मांही, हम ते और दूसरा नांही’

साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश लेकर गांव-गांव पहुंच रही है ‘राजस्थान कबीर यात्रा’
पुष्कर मेले और जेएलएफ की तर्ज पर लगातार पर मिल रही है प्रसिद्धि

kabir-yatra-photo-1बीकानेर। कबीर की वाणी और दोहों के माध्यम से साम्प्रदायिक सौहार्द और आध्यात्मिक प्रेम बढ़ाने के उद्देश्य से बीकानेर में¬ 11 नवंबर को प्रारम्भ हुई ‘राजस्थान कबीर यात्रा’ अब पूरे परवान है। ठेठ ग्रामीण अंचलों में¬ आधी रात तक लोकरंगों के बीच, कबीर के साथ मीरा, बुल्ले-शाह और गोरखनाथ जैसे सूफी संतों की वाणी को पारम्परिक रंग के साथ अनेक नवाचारों के बीच सुनना, ग्रामीणों के जीवन के अविस्मरणीय क्षण बन चुके ह®।
या यूं कहें¬ कि, ‘राजस्थान कबीर यात्रा’ अब समरस की सम-भावना को सच्चे अर्थो में¬ तलाशने और तराशने का दूजा नाम बन गई है, जो पुष्कर के विश्वप्रसिद्ध मेले और जयपुर लिटेरचर फेस्टिवल (जेएलएफ) की तरह लगातार प्रसिद्धि पा रही है। दूरस्थ ग्रामीण अंचलों म¬ें बड़ी संख्या म¬ें देशी पर्यटकों के अलावा दुनिया के विभिन्न देशों से दो सौ से अधिक विदेशी पर्यटक भी भागीदार बन रहे ह®।
बीकानेर की लोकायन संस्थान द्वारा बीकानेर पुलिस एवं पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान म¬ भंवर-नरसी-पूनम कुलरिया परिवार मूलवास (नोखा) के सौजन्य से आयोजित ‘राजस्थान कबीर यात्रा 2016’ का कारवां 11 नवंबर को बीकानेर के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के ‘दीवाने आम’ से शुरू हुआ, जहां मिरासी लोक गायक मुख्त्यार अली ने राजस्थानी लोक वाणियों का परिष्कृत शास्त्राीयता के साथ मिश्रण करते हुए कबीर, मीरा और बुल्ले-शाह सरीखे सूफी संतों की वाणी गाकर श्रोताओं को मंत्रा मुग्ध कर दिया। मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्रा के लोक गायक कालूराम बामनिया की रचनाएं सुनकर दर्शक झूमने को मजबूर हो गए। वह° लुप्तप्राय दास्तानगोई परम्परा के सशक्त हस्ताक्षर दिल्ली के दास्तानगो अंकित चढ्ढा ने ‘दास्तान ढाई आखर की’ शीर्षक दास्तानगोई प्रस्तुत की, तो लगभग साढे पांच सौ वर्षों बाद भी कबीर की प्रासंगिकता समझ आई।
पीपल के पेड़ पर खूब जमी चौपाल
कबीर यात्रा का यह कारवां बीकानेर से होते हुए 12 नवंबर को पहुंचा श्रीडूंगरगढ़। यहां के पुराने बस स्टेण्ड परिसर म¬ ठंडी हवाओं के बीच पीपल के पेड़ के नीचे पारम्परिक तरीके से सजाया गया मंच, आमजन का ध्यान बरबस ही अपनी ओर ख°च रहा था, तो ब®गलूरू स्थित कबीर प्रोजेक्ट की निदेशक शबनम विरमानी और विपुल रखी ने जैसे ही पांच तारों वाला तम्बूरा बजाया, तो दर्शक ने खड़े होकर तालियों के साथ स्वागत किया। जैसलमेर के महेशाराम की सत्संगों की वाचिक परम्परा ने दर्शकों को ऐसा मंत्रामुग्ध किया, कि पूरा पंडाल ‘वन्स मोर’ से गूंज उठा।
कच्छ, गुजरात के सूफी गायक मावजी भाई जागरिया ने ढोल पर कबीर और शाह लतीफ़ की वाणियां सुनाई, तो हरप्रीत सिंह और वरूण की जुगलबंदी ने कबीर, बुल्ले शाह और समकालीन कवियों की रहस्यवादी कविताओं को अपनी गिटार और ‘कोहेन’ के स्वरों पर जीवंत कर दिया। वह° विख्यात चित्राकार विनय अम्बर ने इसके अनुरूप ही मौके पर प¬टिंग करते हुए कला की नायाब प्रस्तुति दी। मुख्त्यार अली और अली भाई ने भी अपनी लोकवाणियों पर जमकर वाहवाही लूटी।
खास होगा सोमवार का कोलायत मेला
‘राजस्थान कबीर यात्रा’ के चलते सोमवार को भरने वाला बीकानेर का पारम्परिक कोलायत मेला भी इस बार कुछ खास होने वाला है। चौदह नवंबर को कोलायत म¬ें कबीर गायन के सशक्त लोकगायक पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपान्या विशिष्ट लोक-शैली म¬ें कबीर के भजन गाएंगे, वह° अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मदन गोपाल सिंह एवं ‘चार यार’ ग्रुप तबला, गिटार, सरोद और गायन के समग्र प्रभाव में¬ सूफी-संतों की वाणी को जीवंत कर¬गे। इसी दिन कच्छ के बन्नी इलाके के भारमल वागा लोक गायक शाह लतीफ़ की काफियों के अलावा मेखन दादा के भजन प्रस्तुत करंेगे।
मूलवास होते हुए बीकानेर पहुंचेगी यात्रा
‘राजस्थान कबीर यात्रा’ 15 नवंबर को नोखा के मूलवास गांव पहुंचेगी। जहां बिंदु मालिन और वेदांत भारद्वाज की उम्दा जोड़ी कबीर के पदों को हिंदुस्तानी शास्त्राीय गायकी और गिआर के स्वरों के मिश्रण के साथ प्रस्तुत करेगी। इसी दिन बीकानेर के शिवजी-बद्र सुथार, जैसलमेर के महेशाराम, हरप्रीत सिंह, मदनगोपाल सिंह और चार यार तथा पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपान्या अपनी प्रस्तुति द¬गे। यहां से अपने अंतिम चरण म¬ यात्रा बीकानेर पहुंचेगी, जहां अपनी विशिष्ट शैली के साथ परम्परा और प्रयोगशीलता के प्रति गहरी समझ और संतुलन रखने वाले दिल्ली के पद्मश्री मधुप मुद्गल और मालवा के पद्मश्री प्रहलादसिंह टिपान्या अपनी प्रस्तुतियां द¬गे।
जिला पुलिस ने प्रस्तुत की मिसाल
राजस्थान कबीर यात्रा जैसे सृजनात्मक आयोजन के साथ जुड़कर बीकानेर पुलिस ने एक अभिनव मिसाल प्रस्तुत की है। आमतौर पर पुलिस की भूमिका को रक्षात्मक एवं कानून की पालना करवाने वाले तंत्रा के रूप में¬ देखा जाता है, लेकिन बीकानेर पुलिस ने इस अवसर का लाभ उठाकर पुलिस एवं जनसाधारण के बीच बेतर समन्वय की दिशा म¬ कदम उठाया है। बीकानेर पुलिस अधीक्षक डॉ. अमनदीप सिंह कपूर का मानना है कि हिंसा की जड़ सदैव द्वेत म¬ होती है और कबीर का निशाना भी इसी द्वेत पर रहता है। कबीर के दोहे ‘हम सब मांही सकल हम मांही, हम ते और दूसरा नाह°’ के माध्यम से उन्होंने बताया कि बीकानेर पुलिस की मंशा है कि ‘राजस्थान कबीर यात्रा’ वार्षिक कार्यक्रम का रूप ले सके और सामाजिक समरसता का नया अध्याय रच सके।

हरि शंकर आचार्य
सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी, बीकानेर

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