महापौर बनी अपनी ही सरकार के लिए मुसीबत

जयपुर नगर निगम की विवादास्पद महापौर ज्योति खंडेलवाल प्रदेश की कांग्रेस सरकार और संगठन के लिए मुसीबत बन गई है। अपने ढ़ाई साल के कार्यकाल में हमेशा ही विवाद में रहने वाली महापौर आज अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गई।

धरने के बाद जब वे शहर के वीआईपी मार्ग जवाहर लाल नेहरू रोड पर मार्च करने लगी तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और शहर से 20 किमी दूर कानोता पुलिस थाने ले गई,यहां महापौर ने जमानत कराने से इंकार कर दिया, वहीं पुलिस नियमों का हवाला देते हुए जमानत कराने पर ही रिहा करने की बात कहती रही।

महापौर दोपहर से लेकर रात तक थाने में ही जमी रही, उन्होंने अपने समर्थकों के साथ वहां भी हंगामा किया।

पिछले छह माह से नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को भ्रष्ट बताकर अपनी ही पार्टी की सरकार से उन्हें हटाने की मांग कर रही महापौर ने अपनी मांग पूरी नहीं होती देखकर आज धरने का कार्यक्रम तय किया, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ.चन्द्रभान ने उन्हें मनाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं मानी और आज अपने समर्थकों के साथ इन्दिरा गांधी की प्रतिमा के पास धरने पर बैठी और फिर नियमों का उल्लंघन करने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया। महापौर निगम के सीईओ सहित आधा दर्जन अधिकारियों को भ्रष्ट बताकर हटाने की मांग करती रही।

गौरतलब है कि जयपुर नगर निगम में पहली बार कांग्रेस की महापौर बनी ज्योति खंडेलवाल कुर्सी संभालने के बाद से ही हमेशा विवादों में रही। भाजपा नेताओं के साथ ही कांग्रेस के ही कई वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला।

महापौर के दबाव पर मुख्यमंत्री ने निगम में छह सीईओ भी बदले लेकिन उनकी पटरी किसी के साथ नहीं बैठ सकी। मौजूदा सीईओ लोकनाथ सोनी से भी उनकी नियुक्ति के एक माह तक तो सम्बन्ध ठीक रहे, लेकिन फिर उन्होंने सोनी को भी हटाने के लिए मोर्चा खोल लिया।

इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनकी मांग को दरकिनार कर सोनी का तबादला नहीं किया तो पिछले माह महापौर दिल्ली जाकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं प्रदेश के प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक से मुख्यमंत्री की ही शिकायत करने पहुंच गई।

महापौर की शिकायत पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री से जवाब मांगा, इस पर मुख्यमंत्री की नाराजगी ओर बढ़ गई। नाराज मुख्यमंत्री ने महापौर को दरकिनार कर अफसरों की पोस्टिंग शुरू कर दी,इससे उत्तेजित महापौर अब अपनी ही सरकार के खिलाफ सार्वजनिक धरने-प्रदर्शन करने लगी, यही नहीं उन्होंने सरकार के खिलाफ बयान भी दिए। महापौर ने भाजपा पार्षदों पर निगम के कामकाज में बाधा डालने का भी आरोप लगाया।

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