कर्मचारी के मरणोपरान्त उनके विधिक उत्तराधिकारियों को छठे वेतन आयोग का लाभ, राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 1998 के अनुसार वरिष्ठ एवं चयनित वेतनमान का लाभ, आदेश दिनांक 25.01.1992 के अनुसार चयनित वेतनमान का लाभ, 09, 18, 27 वर्ष की सेवावधि पूर्ण करने पर ए.सी.पी. का लाभ, ग्रेच्यूटी की राशि एवं बकाया उपार्जित अवकाश के बदले नकदीकरण का लाभ मय ब्याज सहित देने के आदेश
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण का मामला)
जयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने स्व. श्रीमती मनोरमा शर्मा के विधिक उत्तराधिकारी प्रार्थीगण सचिन दत्त शर्मा, लोकेश दत्त शर्मा, नीतू दाधीच का आवेदन स्वीकार कर प्रबन्ध समिति, के. डी. जैन शिक्षण परिषद, मदनगंज किशनगढ़, अजमेर को आदेश दिया कि वे स्व. श्रीमती मनोरमा शर्मा का राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 2008 के अनुसार राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान स्थिरीकरण करने के उपरान्त बकाया वेतन की अन्तर राशि का भुगतान एवं आदेश दिनांक 25.01.1992 के अनुसार चयनित वेतनमान का लाभ, राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 1998 के अनुसार वरिष्ठ और चयनित वेतनमान का लाभ एवं 09, 18 व 27 वर्ष की सेवावधि पूर्ण करने पर ए.सी.पी. का लाभ, माह जुलाई 2000 में बढ़े हुए मंहगाई भत्ते की बकाया राशि एवम् अंतिम वेतन के आधार पर संगणना कर नियमानुसार देय उपदान की राशि तथा अवकाश खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि का भुगतान बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित उत्तराधिकारी प्रार्थीगण को करे। उल्लेखनीय है कि स्व. श्री मनोरमा शर्मा की नियुक्ति दिनांक 28.09.1983 को सहायक अध्यापक के पद पर अप्रार्थी संस्था में हुई थी। तत्पश्चात् उनका समायोजन राजस्थान ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम, 2010 के अनुसार राज्य सरकार में हो जाने के फलस्वरूप उन्हें दिनांक 01.07.2011 को अप्रार्थी संस्था से कार्यमुक्त कर दिया गया। स्व. श्रीमती मनोरमा शर्मा द्वारा उपरोक्त राशि प्रदान करने हेतु संस्था से बार-2 निवेदन किया गया लेकिन अप्रार्थी संस्था ने उन्हें कोई लाभ प्रदान नहीं किया गया। तत्पश्चात् उनके विधिक उत्तराधिकारी प्रार्थीगण द्वारा न्यायसंगत मांग का नोटिस प्रेषित किया गया किन्तु अप्रार्थी संस्था ने प्रार्थीगण को उक्त अनुतोष प्रदान नहीं किया गया। इससे पीड़ित होकर प्रार्थीगण ने अधिवक्ता डी.पी.शर्मा के माध्यम से अधिकरण के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर उक्त लाभ दिलाने का निवेदन किया। प्रार्थीगण के अधिवक्ता का तर्क था कि अप्रार्थी संस्था राजस्थान सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अन्तर्गत पंजीकृत होते हुए राज्य सरकार के शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त है। यह संस्था राज्य सरकार से 80 प्रतिशत से अधिक अनुदान की राशि भी राज्य सरकार से प्राप्त करती रही थी इसलिए उस पर राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 एवम् नियम 1993 के प्रावधानों लागू होते है। स्व. श्रीमती मनोरमा शर्म अधिनियम, 1989 की धारा 16 व नियम 1993 के नियम 82 एवं पेमेन्ट ऑफ ग्रेच्यूटी एक्ट, 1972 के तहत उपदान की राशि व नियम, 1993 के नियम 51 के अनुसार बकाया अवकाश के बदले वेतन की राशि प्राप्त करने की अधिकारी है एवं राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 2008 के अनुसार राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान स्थिरीकरण करने के उपरान्त बकाया वेतन की अन्तर राशि एवं आदेश दिनांक 25.01.1992 के अनुसार चयनित वेतनमान का लाभ, राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 1998 के अनुसार वरिष्ठ और चयनित वेतनमान का लाभ एवं 09, 18 व 27 वर्ष की सेवावधि पूर्ण करने पर ए.सी.पी. का लाभ, माह जुलाई 2000 में बढ़े हुए मंहगाई भत्ते की बकाया राशि प्राप्त करने की अधिकारी है। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त लाभ नियमानुसार ब्याज सहित स्व. श्रीमती मनोरमा शर्मा के विधिक उत्तराधिकारी प्रार्थीगण को अदा करने के आदेश अप्रार्थी संस्था को दिये।
डी.पी. शर्मा
एडवोकेट
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