बाड़मेर 29.12.2016
गुलेच्छा ग्राउण्ड में चल रही देवी भागवत के तिसरे दिन श्री लक्ष्मण दास महाराज ने बताया कि आज कें युग मंे हमारी चार माताऐ है और बड़े दुख की बात है कि ये चारे ही दुखी है प्रथम जन्म देने वाली माता ,गौ माता, गंगा माता व धरती माता, बेटा अपनी जननी की परवाह नही करता है। जो गाय हमें जीवन भर दूध देती है। हम उसी का तिरस्कार करते है। गंगा मैया जो समस्त जीवो के कल्याण हेतु अवतरण हुई। पर आज हर जगह गंगा जी में गंदे नाले बह रहे है। व गंगाजी में कचरा डालते है। धरती जो सहन शीलता की प्रतिमूर्ति है हम उसी पर अनाचार अत्याचार करते है। फिर भी वो हमें पोषण हेतु अन्न देती है। कलिकाल में इन माताओं के अत्याचार देख मां जगदम्बें अपने विभिन्न रूप में जगह-जगह धर्म की रक्षा हेतु विधमान है। आज कथा प्रसंग में सुखदेव महाराज भी गुरू करने हेतु जनक के पास गये। कुऐं में जल है पर पानी लेने हेतु किसी पात्र का सहारा लेना पड़ता है। उसी प्रकार हमें पार होने के लिये नाम का आधार लेना पड़ेगा। राम नाम रा जहा पद पर श्रोता झूम-झूम नाचने लगे। हम जिस प्रकार अपना बाह्य आवरण साफ सुथरा रखते है। वैसे ही हमें भीतर का आवरण भी साफ रखना चाहिए। निर्मल मन जन सो मोहे पाव, निर्मल हदय से ही परमात्मा प्राप्त होते है। देवी भागवत में गंगा की उत्पति व भिष्म के जन्म कर्म की कथा कही। व गंगा की महिमा का वर्णन किया। कथा में श्रोताओं की तादाद भारी मात्रा में उत्साह से बढ रही है। पांडाल में मातृ शक्ति की उपस्थिति ज्यादा रही।
दुर्गाषंकर शर्मा
