धूप में निकलने से पहले सावधानी बरतें आमजन: जिला कलेक्टर

अचानक बढ़ी गर्मी में लू-तापघात के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट

bikaner samacharबीकानेर, 31 मार्च। जिला कलक्टर वेदप्रकाश ने गर्मी के मद्देनजर बाहर निकलने से पहले आमजन से सावधानी रखने का आह्वान किया है। शुक्रवार को उन्होंने निर्देश दिए कि आईईसी गतिविधियां करते हुए आमजन को लू-तापघात से बचाव के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि अचानक बढ़ी गर्मी व सूखे मौसम में लू-तापघात होने से बचाव के लिए चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ व आशा सहयोगिनियों के माध्यम से आमजन में जागरूकता लाने व बचाव के साथ-साथ प्राथमिक उपचार सिखाने पर जोर दिया जा रहा है। सभी अस्पतालों में लू-तापघात के रोगियों के लिए बैड आरक्षित करने, कूलर व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, संस्थान में रोगी के उपचार हेतु आपातकालीन किट में ओर.आर.एस., ड्रिपसेट, जी.एन.एस., जी.डी.डब्लू, रिगरलेकट्रेट (आर.एल.) फ्लूड एवं आवश्यक दवाईयां रखने के निर्देश दिए हैं। डिप्टी सीएमएचओ डॉ. इंदिरा प्रभाकर ने सभी खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि लू-तापघात के रोगियों को तत्काल उपचार मुहैया करवाया जाए।
यह हैं लू-तापघात के लक्षण
सिर का भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना व शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढ़ना (105 एफ या अधिक), पसीना आना बंद होना, चेहरा लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास का लगना, बेहोशी जैसी स्थिति का होना/बेहोश होना।
क्या है लू तापघात ?
डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि चिकित्सकीय दृष्टि से लू-तापघात के लक्षण लवण व पानी की आवश्यकता व अनुपात विकृति के कारण होती है। मस्तिष्क का एक केंद्र जो मानव के तापमान को सामान्य बनाए रखता है, काम करना छोड़ देता है। लाल रक्त कोशिकाएं रक्त वाहिनियों में टूट जाती हैं व कोशिकाओं में जो पोटेशियम लवण होता है वह रक्त संचार में आ जाता ह,ै जिससे हृदय गति, शरीर के अन्य अंग व अवयव प्रभावित होकर लू तापघात के रोगी को मौत के मुंह में धकेल देते हैं।
बचाव के लिए बरतें यह सावधानियां
डॉ. चौधरी ने बताया कि जहां तक संभव हो धूप मंे न निकलंे। यदि आवश्यक हो तो धूप में शरीर पूर्ण तरह से ढका हो। धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़ों का उपयोग करें। बहुत अधिक भीड़, गर्म घुटन भरे कमरों से बचें, रेल बस आदि की यात्रा अत्यावश्यक होने पर ही करें। बिना भोजन किए बाहर न निकलें। भोजन करके एवं पानी पी कर ही बाहर जाएं। सड़े-गले फल व बासी सब्जियों का उपयोग हरगिज ना करें। गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर को गमछे या तौलिये से ढक कर ही धूप मंे निकलें। रंगीन चश्मंे एवं छतरी का प्रयोग करें । गर्मी मे हमेशा पानी अधिक मात्रा मे पिएं एवं पेय पदार्थो जैसे नींबू पानी, नारियल पानी, ज्यूस आदि का प्रयोग करें। लू तापघात से प्रायः कुपोषित बच्चे, वृद्ध गर्भवती महिलाएं ,श्रमिक अदि शीध्र प्रभावित हो सकते हैं। इन्हे प्रायः 10 बजे से सांय 6 बजें तक तेज गर्मी से बचाने हेतु छायादार ठंडे स्थान पर रहने का प्रयास करें। अकाल राहत कार्यों पर अथवा श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबन्ध रखा जाए, जिससे श्रमिक थोडी-थोडी देर में छायादार स्थानों पर विश्राम कर सकंे।
प्रभावित व्यक्ति का तत्काल ऐसे करें प्राथमिक उपचार
डॉ. चौधरी ने बताया कि लू-तापघात से प्रभावित रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपडे़ ढीले कर लिटा दिया जाए एवं हवा करें। उसे ठंडे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पना दंे। प्याज का रस अथवा जौ के आटे को भी ताप नियंत्रण हेतु मला जा सकता है । रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिये यदि संभव हो तो उसे ठंडे पानी से नहलाएं या उसके शरीर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखकर पूरे शरीर को ढक दंे। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं, जब तक की शरीर का ताप कम नहीं हो जाता है। यदि उक्त सावधानी के पश्चात भी मरीज ठीक नहीं होता, तो उसे तत्काल निकट की चिकित्सा संस्थान ले जाया जाए।
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पालनहार विशेष अभियान 1 अप्रैल से
बीकानेर, 31 मार्च। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा पालनहार योजनान्तर्गत लाभान्वित हो रहे पालनहारों का भामाशाह एवं बच्चों का आधार व अध्ययनरत होने का प्रमाण पत्रा नवीन एस.एस.ओ पोर्टल पर अद्यतन करवाने के लिए 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक प्रत्येक सप्ताह में तीन दिवस शुक्रवार, शनिवार, रविवार को ‘पालनहार विशेष अभियान‘ पंचायत समिति स्तर पर निर्धारित ई-मित्रा पर चलाया जा रहा है। जिसमंे पालनहारों का बायोमैट्रिक सत्यापन ई मित्रा के माध्यम से किया जाना है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक एल. डी. पंवार ने बताया कि अनाथ बच्चों, निराश्रित पेंशन की पात्रा विधवा के बच्चों, नाता जाने वाली माता की संतान, तलाकशुदा/परित्यक्ता महिला की संतान आदि के लिए पालनहार योजना के अन्तर्गत लाभान्वित किया जाता है। इस श्रेणी में पात्राता रखने वाले बच्चों के लिए जन्म से 6 वर्ष तक 500 रूपये प्रतिमाह तथा 6 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए 1000 रूपये प्रतिमाह अनुदान पालनहार के बैंक खाते में भेजकर लाभान्वित किया जाता है।
जिसके लिए पालनहार का भामाशाह कार्ड, बैंक पास बुक की प्रति, बच्चांे के आधार कार्ड एवं विद्यालय मे अध्ययनरत होने का प्रमाण पत्रा, आंगनबाड़ी से जुड़े होने का प्रमाण पत्रा सहित बच्चों को उपस्थित होना आवश्यक है। पालनहार विशेष अभियान शिविर के सफल संचालन के लिए जिला कलक्टर द्वारा ग्राम स्तर पर नियुक्त ग्रामसेवक को सम्बन्धित ग्राम पंचायत के पालनहारांे को विभाग द्वारा आयोजित कैम्प दिवस पर पालनहार तथा उनके बच्चों को निर्धारित स्थल पर आवश्यक दस्तावेजों सहित भिजवाने हेतु निर्देशित किया गया है। जिले में पालनहार योजना के शत-प्रतिशत बायोमैट्रिक सत्यापन के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग स्तर से भी विभागीय प्रतिनिधियों को भी नियुक्त किया गया है।

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