तर्द्थ नियुक्ति को हथियार बनाकर प्रक्रिया की पालना से नहीं बचा जा सकता

राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण का मामला)
jaipur samacharजयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने अपीलार्थीगण मीनाक्षी शर्मा एवं असमन राठौड़ की अपील स्वीकार कर अपीलार्थीगण के सम्बन्ध में प्रत्यर्थी संस्था प्रबन्ध समिति, आर्मी पब्लिक स्कूल, बीकानेर के द्वारा पारित किया गया मौखिक सेवामुक्ति आदेश को निरस्त कर अपीलार्थीगण को समस्त पारिणामिक लाभ परिलाभों सहित सेवा में पुनः अपने पद पर स्थापित किये जाने के आदेश पारित किया। उल्लेखनीय है कि अपीलार्थी मीनाक्षी शर्मा एवं असमन राठौड़ की नियुक्ति प्राथमिक शिक्षक (पी.आर.टी) के पद पर दी गयी थी जो कि सम्पूर्ण विधिक प्रक्रिया अपनाकर की गई थी। अपीलार्थीगण द्वारा संस्था में पूर्ण निष्ठा एवं निरन्तर कार्य किया गया जिस हेतु प्रत्यर्थी संस्था द्वारा अपीलार्थीगण को समय-2 पर नियुक्ति पत्र, वेतन रसीद एवं अनुभव प्रमाण-पत्र दिये गये। अपीलार्थीगण को 10 वर्ष का अध्यापन कार्य का अनुभव है एवं अपीलार्थीगण की नियुक्ति प्रत्यर्थी संस्था में विज्ञापन के अनुसरण में हुई है। तत्पश्चात् प्रत्यर्थी संस्था द्वारा दिनांक 29.02.2016 को मौखिक आदेश जारी कर अपीलार्थीगण की सेवायें समाप्त कर दी गई, इस संबंध में अपीलार्थीगण को ना ही कोई नोटिस दिया गया और ना ही उन्हें सेवा समाप्ति संबंधी कोई सूचना दी गई। अपीलार्थीगण ने इससे पीड़ित होकर अपने अधिवक्ता डी.पी. शर्मा के माध्यम से अधिकरण के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सेवामुक्ति आदेश को निरस्त कर सेवा में पुनः बहाली हेतु निवेदन किया। प्रार्थीगण के अधिवक्ता का तर्क था कि अपीलार्थीगण की नियुक्ति प्रत्यर्थी संस्था में विज्ञापन के जरिये हुई एवं अपीलार्थीगण को संविदा के आधार पर निश्चित अवधि के लिए नियुक्ति नहीं किया गया एवं प्रत्यर्थी के द्वारा प्रत्येक सत्र के लिए कोई नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया। अपीलार्थीगण को केवल मात्र मौखिक आदेश से सेवामुक्त कर दिया गया। अपीलार्थीगण की सेवामुक्ति से पहले राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 की धारा 18 और राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था नियम, 1993 के नियम 39 की पालना नहीं की गयी है। अपीलार्थीगण के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाये गये है और ना ही कोई जॉंच की गयी है। अपीलार्थीगण को 06 माह/01 माह का ना तो नोटिस दिया गया है और ना ही नोटिस के बदले वेतन की राशि दी गयी है। अतः मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने प्रत्यर्थी संस्था के अपीलार्थीगण के सम्बन्ध में पारित किये गये मौखिक सेवामुक्ति आदेश को निरस्त कर अपीलार्थीगण को पारिणामिक लाभ परिलाभों सहित सेवा में पुनः अपने पद पर स्थापित करने के आदेश दिये।

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