बाल विवाह में सहयोग करने वाला भी है दोषी- राजावत

download (9)गोपालसिंह जोधा
पोकरण(जैसलमेर). स्थानीय उपखण्ड अधिकारी कार्यालय में शुक्रवार को आमजन व बाल विवाह से जुड़े लोगों की बैठक उपखण्ड अधिकारी मूलसिंह राजावत की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमें आगामी अक्षय तृतीया के अवसर पर होने वाले बाल विवाह को रोकने को लेकर विचार विमर्श किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए उपखण्ड अधिकारी राजावत ने कहा कि सरकार की ओर से विवाह की एक उम्र निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि 18 वर्ष की लडक़ी व 21 वर्ष का लडक़ा होने पर ही उनका विवाह किया जाना चाहिए। इससे कम उम्र होने पर वह बाल विवाह की श्रेणी में आता है। उन्होंने बताया कि पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपने छोटे बच्चों का विवाह कर देते है, जो गलत है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप, सामाजिक कुरीति व संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि आमजन के सहयोग व जनजागरण से ही बाल विवाह रोका जा सकता है।
उन्होंने बाल विवाह निषेध अधिनियम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बाल विवाह करने वाले परिवारजन, उसमें सहयोग करने वाले लोग, शादी में शिरकत करने वाले लोग, विवाह पत्रिका छापने वाला, हलवाई, घोड़ी वाला, लाइट वाला, पंडित, शामियाना लगाने वाला, साउंड वाला सभी दोषी होते है। उन्होंंने बाल विवाह में किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं कर प्रशासन व पुलिस को सूचना देने की बात कही। उन्होंने बताया कि बाल विवाह की रोकथाम को लेकर तहसील कार्यालय में कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है। यहां कहीं पर भी बाल विवाह के बारे में जानकारी दी जा सकती है। जिस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
इस अवसर पर तहसीलदार नारायणगिरी, नायब तहसीलदार रामसिंह, सरपंच नाथूराम विश्रोई खेतोलाई, टेंट हाऊस के ज्योतिष व्यास, सांउड व फोटो स्टूडियो से मुकेश शर्मा, पंडित अखिलेश दवे सहित लोग उपस्थित थे।

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