फ़िरोज़ खान
किशनगंज 22 अप्रेल । कसबनोनेरा सहरिया कालोनी में निवासरत लोगो को 15 साल बीत जाने के बाद भी सहरिया परिवारों को आवास का लाभ नही मिल रहा है । मुन्नी बाई व संपत बाई तथा भभूती बाई ने बताया कि करीब 60-65 परिवार निवास करते है । मगर परिवारों की संख्या बढ़ने व बच्चे माता पिता से अलग होकर रहने के कारण इनके पास आवास की व्यवस्था नही है । इन्होंने बताया कि 15 साल पहले सरकारी आवास मिले थे । तब परिवार छोटे थे । अब बच्चे बड़े हो गए और शादी शुदा हो जाने के कारण एक ही मकान में रहना मुश्किल हो रहा है । उन्होंने आवास बनाने की मांग की है । लोगो ने बताया कि जैसे जैसे परिवार बढ़ता जा रहा है । वैसे ही परेशानियां बढ़ती जा रही है । आज भी कई परिवार टॉपरियो मे रहने को मजबूर है । पक्के सहरिया आवास तो कुछ लोगो के पास ही है । बाकी लोग तो वही घास फूंस की टापरीया बनाकर रह रहे है । बारिश के मौसम में तो इनके बुरे हाल हो जाते है । एक ही कमरे में सभी परिवार के लोग बड़ी मुश्किल से रह पाते है । उन्होंने बताया कि गर्मी में तो बाहर भी सो जाते है । मगर सर्दी व बारिश में तो रहना मुश्किल हो जाता है । रामश्री, रामकन्या, काशी, मुन्नी, सहित कई लोग ऐसे है । जिनके पास आवास नही है । और यह टापरियो मे ही अपना जीवन यापन कर रहे है । उन्होंने बताया कि यह कालोनी ग्राम पंचायत मुख्यालय से 2 किलोमीटर दूर है । और सड़क मार्ग से जुड़ी हुई है । उसके बाद भी विकास के नाम पर कुछ भी नही है । बस्ती एक भी पानी की टंकी नही है । हेण्डपम्प लगे हुए हैब । जिनमे अच्छा पानी आता है । मगर उनमे मोटर लगी हुई नही है । इस कारण हेण्डपम्प से पानी भरते है ।
इनका क्या कहना है
“सरकार ने 15 साल पहले सहरिया आवास दिए थे । अब धीरे धीरे परिवार बढ़ता गया । अब एक कमरे में गुजारा नही होता है । ”
संपत बाई सहरिया कसबनोनेरा
“क्या करे एक कमरे गुज़रा नही होता है । इस कारण टापरियो मे निवास करते है । कई साल हो गए अभी तक आवास नही बने । परिवार में कई बच्चे हो गए ।”
मुन्नी बाई सहरिया
“सहरिया आवास भारत सरकार से जितने आते है ।उनमे से बनाये जाते है अभी भी ऐसे कई गांव है ।जहाँ एक भी सहरिया आवास नहीं बने आने पर प्राथमिकता से उनका चयन पंचायत समिति के द्वारा किये जाते है वर्तमान में आवास विहीन पात्र परिवारो को प्रधानमंत्री आवास योजना में बनवाये जा रहे है । यह भी भारत सरकार की ही योजना है।”
रामप्रसाद मीणा ए डी एम सहरिया परियोजना शाहबाद ।