दो दिवसीय राज्य स्तरीय संवाद का षुभारम्भ

NIC_6249जयपुर, 6 जून। बालिका षिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं पर जमीनी स्तर पर षिक्षा की पहुंच अभी भी बालिकाओं की पहुंच से कोसो दूर है। विषेषकर उन बालिकाओं के लिए जिनकी पढ़ाई किसी कारणवष बीच में ही छूट जाती है। ऐसी ड्रªªाप आउट बालिकाओं के लिए सरकार की ओर से पुनः षिक्षा से जोड़ने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं पर हकीकत यह है कि कहीं ओपन एग्जाम देने वाली बालिकाओं तक कोर्स समय पर नहीं पहुंचता तो कहीं क्लास नहीं लगती। ऐसे में सरकारी स्तर पर किए जा रहे ये प्रयास महज खोखले ही साबित हो रहे हैं।
द हंगर प्रोजेक्ट राजस्थान की ओर से आज जयपुर में षुरू हुए दो दिवसीय महिला जनप्रतिनिधियों एवं किषोरी बालिकाओं के साथ आयोजित संवाद कार्यक्रम में आईं किषोरियों ने यह हालात बयां किए। हॉटल ओम टावर में आयोजित इस संवाद कार्यक्रम में सिरोही जिले के आबूरोड व रेवदर और भीलवाड़ा जिले के सहाड़ा ब्लॉक की 31 किषोरियां व 11 महिला पंच- सरपंच भाग ले रही हैं।
सिरोही जिले के रेवदर से आईंने बताया कि परमेष्वरी सैनी ने बताया कि उसने इस साल सरकारी स्कूल से 12वीं की परीक्षा दी पर उसे सालभर तक भी स्कूल से निःषुल्क मिलने वाली पूरी किताबें नहीं मिली। स्कूल की ओर से हिंदी और इतिहास विषय की ही किताबें मिली। बाकि की किताबों की व्यवस्था उसे अपने स्तर पर ही करनी पड़ी। परमेष्वरी का कहना था कि अगर सरकार स्कूलों में टीचर नहीं लगा सकती तो कम से कम किताबें ही उपलब्ध करवा दें ताकि हम पढ़ तो सकें। रेवदर की प्रवीणा से बताया कि उसने स्टेट ऑपन से दसवीं का फॉर्म भरा था पर कोर्स की किताबें ही एग्जाम से 15 दिन पहले आईं। ना ही 15 दिन की लगने वाली क्लास लगी। ऐसी स्थितियों में हम भला कैसे तैयारी करें।
संवाद कार्यक्रम में आईं इन किषोरियों ने कार्यक्रम में आए प्रषासनिक अधिकारियों से सीधा संवाद किया। सहाड़ा ब्लॉक की मनीषा ने कहा कि हमारे परिजन हमें स्कूल जाने से रोकते हैं जिससे लड़कियों की पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है। हमने अपने क्षेत्र में किषोरियों का समूह बना रखा है। समूह के माध्यम से हमने 40 ड्राप आउट बालिकाओं के आवेदन करवाए हैं। रेवदर से आईं किषोरियों ने बताया कि उनके ब्लॉक में 38 ग्राम पंचायतों में से सिर्फ एक ही स्कूल में कॉमर्स है। अपनी मनपसंद के विषय के लिए हमें गांव से 40 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं पर स्कूल में विज्ञान विषय नहीं होता। इसके लिए आबूरोड जाना पड़ता है। घर से दूर जाने के लिए परिवार वाले इजाजत नहीं देते हैं।

सहाड़ा की पूनम ने कहा कि उसने 12वीं तक पढ़ाई की और अब आगे पढ़ना चाहती है पर गांव में सरकारी कॉलेज नहीं है। निजी कॉलेज है पर महंगे होने की वजह से हमारी पहुंच से दूर है। रेवदर की हीना ने बताया कि उसकी क्लास में 50 बच्चे हैं और कंप्यूटर का पीरियड एक ही आता है ऐसे में कंप्यूटर सीखने के लिए सब बच्चों का नंबर नहीं आता। रेवदर की अरुणा ने सुझाव दिया कि स्कूलों में एक अलग से ऐसी कॉमन जगह या कमरे की व्यवस्था होनी चाहिए जहां बालिकाएं पीरियड्स के समय आराम कर सकें।

इससे पूर्व प्रथम संस्था से जुड़े कुलभूषण कोठारी ने कहा कि प्रथम संस्था षिक्षा के नीतिगत मुद्दों को लेकर कार्यरत है। ग्राम पंचायतों में विकास की क्या पहुंच है इसका हमें ध्यान रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक षिक्षा विकास का महत्वपूर्ण आयाम है। प्राथमिक षिक्षा अच्छी हो, सबकी हो ऐसा माहौल हमें मिलना चाहिए। प्राथमिक षिक्षा में गुणवता जरूरी है इसके लिए भाषा व गणित का ज्ञान जरूरी है। उन्होंने कहा कि कई परिवार अपने बच्चों को अच्छी स्कूल में भेजते हैं पर लड़कियों की षिक्षा को तवज्जों नहीं देते हैं। हमें इस प्रवृति को बदलने की जरूरत हैं। उन्होंने बताया कि षिक्षा के लिए जागृति का काम काफी महत्वपूर्ण काम है। षिक्षा की जागृति का काम कर सके ऐसा प्रथम का प्रयास रहता है। प्रथम के प्रयासों से 85 प्रतिषत लड़कियों ने दसवीं कक्षा पास की जिन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी। प्रथम से जुड़कर फिर से दसवीं की परीक्षा पास की। अब तक हम वर्ष 2011 से 2017 तक कुल 2650 बालिकाओं और महिलाओं को दसवीं पास करवा चुके हैं। इस साल हमारे प्रयास से 85 प्रतिषत परिणाम रहा है। हमारा उद्देष्य है कि वो आत्मनिर्भर बने और भविष्य में उनको पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं हो।

कार्यक्रम में समेकित बाल विकास सेवाओं के सहायक निदेषक सोमेष्वर देवड़ा ने पोषण, महिला एवं बाल विकास मुद्दे पर बात की। उन्होंने विभाग की ओर से संचालित की जा रही सेवाओं के बारे में जानकारी थी। संवाद कार्यक्रम में किषोरियों के साथ स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों पर डॉक्टर मालती गुप्ता व प्रयास संस्था से जुड़ी छाया पंचोली ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किषोरियों की अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग होने की जरूरत है। आपको बिना किसी संकोच के अपनी स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को साझा करने की जरूरत है।

इससे पूर्व कार्यक्रम का परिचय और उद्देष्य बताते हुए द हंगर प्रोजेक्ट के कार्यक्रम अधिकारी विरेंद्र श्रीमाली ने बताया कि इस संवाद कार्यक्रम में महिला जनप्रतिनिधियों व किशोरियों के साथ दो दिनों तक प्राथमिक, उच्च माध्यमिक एवं उच्च षिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, पोषण, महिला एवं बाल विकास विषेषकर बाल एवं जल्द विवाह से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े मुद्दों पर संबंधित विभागीय अधिकारियों से संवाद किया जाएगा। किशोरियों के साथ आत्मसुरक्षा, किषोरी पहल योजना एवं यूथ काउंसलिंग सेंटर पर चर्चा की जाएगी। इस संवाद कार्यक्रम में उपस्थित महिला जनप्रतिनिधि अपने- अपने क्षेत्रों में किए गए कार्यों व अनुभवों को साझा करेंगी।

षिक्षा मंत्री को दिया ज्ञापनः आज सुबह सभी महिला जनप्रतिनिधियों व किषोरियांे ने षिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी से उनके सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात की और ज्ञापन दिया। भीलवाड़ा जिले के सहाड़ा ब्लॉक से आईं महिला जनप्रतिनिधियों व किषोरियों ने मंत्री के समक्ष बच्चों के अनुपात में षिक्षक की कमी, स्कूल परिसर का छोटा होना,स्कूल में चार दीवारी का नहीं होना, स्कूल में चतुर्थ कर्मचारी की पोस्ट खाली होना और विषयवार षिक्षकों की कमी जैसे कई मुद्दे उठाए। सोनेला के किषोरी समूह ने ज्ञापन देकर बताया कि सिरोही जिले की रेवदर पंचायत समिति की सोनेला ग्राम पंचायत के मालीपुरा गांव में मीडिल तक स्कूल है। कक्षा 9 के लिए गांव से 5 किलोमीटर दूर सोनेला जाना पड़ता है जिसकी वजह से हर साल लड़कियों का ड्राप आउट बढ़ रहा है।
(विरेंद्र श्रीमाली)
कार्यक्रम अधिकारी
मो. 9413340182

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