श्री श्रीचन्द्र सिद्धान्त सागर ग्रन्थ के अखण्ड पाठ की पूर्णता पर भोग पड़ा
आज होगा आम भण्डारा, बाबा गंगाराम साहब जी चैथ तिथी भी मनाई जायेगी
नाम जपने से ही जीव का कल्याण- महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन
भीलवाड़ा। 26 जून
हरीशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में वार्षिकोत्सव के तृतीय दिन महंत स्वरूपदास अजमेर एवं महंत हनुमानराम पुष्करराज ने श्री श्रीचन्द्र सिद्धान्त सागर ग्रन्थ का अखण्ड पाठ पूर्ण करने की रस्म अदा की। रोट प्रसाद का भोग लगाकर मात्रा वाणी का पाठ किया। आरती प्रार्थना होकर भण्डारा हुआ। इससे पूर्व प्रातःकाल से ही श्रद्धालुओं ने बाबाजी की समाधियों, दरबार साहब, आसण साहब, धूणा साहब, हरि सिद्धेश्वर मंदिर पर शीश निवाया।
नितनेम होकर संतो-महात्माओं के भजन-सत्संग की श्रंखला में महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने भजन ’’डिठोसी प्रेम जो भरियल बाबा हरीराम भिरियन में’’ प्रस्तुत करते हुए नाम के महत्व को बताया एवं कहा कि जीव के कल्याण के लिए नाम-शबद का जाप करना आवश्यक है। क्योंकि नाम से ही आत्मा को बल मिलता है एवं आत्मबल से ही परमात्मा का रस प्राप्त होता है। भले ही अमृत वेले-सांयकाल आसन लगा कर नाम नहीं जप सके किन्तु शुद्ध अन्तःकरण से चलते फिरते नाम स्मरण में चित्त को लगाया जा सकता है। महंत स्वरूपदास अजमेर ने भजन ’’गोविन्द जय जय गोपाल जय जय’’, महंत हनुमानराम पुष्करराज ने ’’हर दम तोखे याद कयूं था सजण सुबह ऐं शाम’’, स्वामी मोहनदास चंदन इन्दौर ने ’’लगदयूं न तिनखे तत्तल हवाऊँ, बाबा श्रीचन्द्र जयूँ जिनते निगाहूँ’’ एवं भागवत ज्ञानी स्वामी आत्मदास इन्दौर ने भागवत कथा के गजेन्द्र मोक्ष प्रसंग की व्याख्या की एवं बताया कि भक्त के चरण पकड़ने से भी भगवान प्रसन्न होते है। इस अवसर पर संत अमोलकदास उज्जैन, स्वामी मोहनदास भोपाल, सांई अमरलाल राजकोट संत किशनलाल भीलवाड़ा व उदासीन निर्वाण मण्डल के संत-महात्माओं सहित कई गुणी विद्वानजन उपस्थित थे।
सांयकाल में नितनेम, हनुमान चालीसा का पाठ होकर संतो महात्माओं के प्रवचन सत्संग हुए। सिद्धो की समाधियों पर श्रद्धालुओं ने मन्नत पूरी होने पर चादरें चढ़ाई एवं प्रसाद वितरण हुआ। आरती अरदास पश्चात् बाहर से आई हुई भगत मण्डलियों ने सूफी रूहानी भजन प्रस्तुत किये।
संत मयाराम ने बताया कि कल उत्सव के चैथे एवं अन्तिम दिन बाबा गंगाराम साहिब जी चैथ तिथ के उपलक्ष में श्री श्रीचन्द्र सिद्धान्त सागर ग्रन्थ एवं श्री रामायण के अखण्ड पाठ का भोग पड़ेगा। दोपहर में आम भण्डारा होगा। नितनेम संतो महात्माओं के प्रवचन सत्संग के अलावा रात्रि में पल्लव का कार्यक्रम होगा, जिसमें श्रद्धालुण गुरूओं के दरबार में प्रार्थना कर मन्नत मांगते है।