प्रदेश में 35 लाख 50 हजार ऐसे युवा हैं, जिनके पास अभी तक मताधिकार नहीं है। चौंकाने वाली बात ये है कि 18 से 29 साल उम्र के ये युवा अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में तो हिस्सेदारी करते हैं, लेकिन इनका वोट नहीं है। ये प्रदेश की कुल जनसंख्या का 4 प्रतिशत हैं और अगर प्रदेश के चार करोड़ मतदाताओं से इस संख्या की तुलना करें तो ये 8 प्रतिशत हैं। रोचक पहलू ये है कि प्रदेश में किसी पार्टी को महज तीन प्रतिशत ज्यादा वोट मिल जाएं तो सरकारें भारी बहुमत से बदल जाती हैं। मतदाता सूची में नहीं आने वाले युवाओं की यह संख्या चुनाव आयोग की ओर से हाल ही करवाए गए एक सर्वे में सामने आई है।
सिर्फ 56 हजार मतदाता बदल सकते हैं सरकार अगर 1993 के विधानसभा चुनाव पर नजर दौड़ाएं तो 56 हजार मतदाताओं के निर्णायक मताधिकार ने कांग्रेस को अपदस्थ कर भाजपा को सत्ता सौंप दी थी। 1998 में 22 लाख मतदाताओं के निर्णायक मताधिकार ने भाजपा को हराकर कांग्रेस को 153 सीटों का ऐतिहासिक जनादेश दिया।
पार्टियों को नहीं, आयोग को है चिंता इन युवाओं को लेकर सियासी पार्टियां च्यादा चिंतित नहीं हैं, लेकिन आयोग की कोशिश है कि ये युवा मतदाता सूची में आ जाएं तो इससे चुनावों के नतीजे अच्छे होंगे। इसलिए उसने कम से कम एक वर्ष वाले कोर्स में प्रवेश ले चुके छात्र-छात्राओं को संस्था से जारी बोनाफाइड सर्टिफिकेट के आधार पर वोट बनवाने की छूट दे दी है। इसके लिए 15 अक्टूबर से 10 नवंबर, 2012 तक वोट बनवाए जा सकते हैं।