सिटी पैलेस से हर वर्ष निकाली जाने वाली तीज और गणगौर की सवारी के रंग भले ही बदलते वक्त में फीके नहीं पड़े हों, पर प्राचीन काल से राजघराने की ओर से निकाली जाने वाली कुछ सवारियों को आज एक परंपरा के रूप में ही निभाया जा रहा हैं।
गौरतलब है कि जयपुर की स्थापना के साथ ही दशहरा पूजन के लिए आमेर रोड पर दशहरा कोठी का निर्माण हुआ था। राजकाल में दशहरे के दिन सिटी पैलेस से दशहरा कोठी के लिए गाजे बाजे के साथ दशहरे की सवारी निकलती थी। पर अब यह दशहरा कोठी सूनी पड़ी अपने पुराने वैभव को याद करती ही दिखाई देती है।
जानकारी के मुताबिक, राजशाही के समय यहां पर दशहरे के दिन सुबह से लेकर शाम तक महफिल जमती थी। पूरे दिन दशहरे के पर्व की धूम रहती थी, पर अब दशहरा कोठी अपनी बेनूरी पर रो रही है।
गौरतलब है कि मौजूदा समय में दशहरा कोठी के इर्द-गिर्द मकान बन गए हैं। कभी दशहरा कोठी के नाम से पहचान रखने वाले रास्ते को अब गोविंद नगर पूर्व के रास्ते के नाम से जाना जाता है। गोविंद नगर पूर्व में रहने वाले किशन लाल जांगिड़ के मुताबिक, करीब तीस साल पहले तक भी दशहरा कोठी में राजा भवानी सिंह स्वयं आकर शस्त्र पूजन किया करते थे।
काफी संख्या में अस्त्र-शस्त्र लाए जाते थे, पर समय के साथ अब सिटी पैलेस में ही शस्त्र पूजन होता है। दशहरा की सवारी ठाकुर जी की दशहरा सवारी के रूप में बदल गई है। विधानसभा के सामने स्थित सीतावल्लभ जी के मंदिर से रथ में ठाकुर जी को सजाकर दशहरा कोठी ले जाया जाता है।