‘‘मरूस्थल के विकास हेतु ‘‘सेन्टर फॉर एडवांस स्टेडीज ऑफ थार डेर्जेट’’ प्रारम्भ

bikaner samacharक्षेत्र की जलवायु, पर्यावरण, वनस्पति, जीव-जन्तु, सामाजिक संरचना, भौगोलिक, सांस्कृतिक, कृषि व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधन, एवं लोक संस्कृति का अध्ययन एवं शोध कार्य करने के उद्देश्य से कैम्पस डायलॉग में प्राप्त सुझावों की क्रियान्वित करते हुए विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने विश्वविद्यालय में सेन्टर फॉर एडवांस स्टडीज ऑफ थार डेर्जेट की स्थापना की। थार मरूस्थल के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करना एवं रेगीस्तानी भू-भाग को विकसित करने की संभावाओं तलाशने हेतु यह देश का प्रथम केन्द्र होगा।
इस केन्द्र का संचालन विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा किया जाएगा। सेन्टर के संचालन हेतु डॉ. राजाराम चोयल, सह आचार्य-पर्यावरण विज्ञान को डायरेक्टर नियुक्त किया गया है।
डॉ. राजाराम चोयल ने बताया कि इस केन्द्र के माध्यम से थार मरूस्थल के लोगों द्वारा प्राकृतिक संसाधन का प्रबन्धन, थार मरूस्थल की वनस्पति एवं जन्तुओं की विलप्ति के करीब प्रजातियों का अध्ययन एवं संरक्षण, जलवायू परिवर्तन एवं इसका प्रभाव, इन्दिरा गांधी नहर परियोजना का थार मरूस्थल की पारिस्थितिकी पर प्रभाव, थार मरूस्थल के महत्त्वपूर्ण औषधीय पौधों का अध्ययन, थार मरूस्थाल में सौर एवं पवन ऊर्जा की संभावनाएं, थार मरूस्थल की लवणीयता एवं मरूस्थलीकरण के नियंत्रण का अध्ययन, थार मरूस्थल के सिचांई परियोजना के कारण नए पादप व जन्तुओं की प्रजातियों का अध्ययन, थार मरूस्थल में इको ट्यूरिज्म की संभावनाओं, यहां के लोगों की जीवन शैली एवं सांस्कृतिक परम्पराओं इत्यादि का अध्ययन किया जाएगा। साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से वैज्ञानिकों/विषय विशेषज्ञों से आमंत्रित कर थार मरूस्थल विज्ञश पर व्याख्यान, कार्यशाला, मरूस्थलीकरण को रोकने से संबन्धित जागृृति अभियान एवं हर्बल व जैव विविधता पार्को का विकास किया जाएगा।
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा उपरोक्त कार्यो की क्रियान्वित हेतु काजरी, आफरी, अन्य राजकीय विश्वविद्यालयों के विभिन्न विभागों, शोध संगठनों एवं स्थानीय केन्द्रीय शुष्क बागवानी केन्द्र, बीकानेर से सहयोग प्राप्त करेगा।

डॉ. प्रभुदान चारण
स्ूाचना एंव जनसंपर्क अधिकारी
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर

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