ऋषि परम्परा के अनुसार श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ 25/11/17 से

मुरली मनोहर धोरा मैदान भीनासर बीकानेर में होगा

IMG-20171122-WA0002बीकानेर 22/11/17। ऋषि परम्परा के अनुसार श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ 25/11/17 से भीनासर बीकानेर में किया जाएगा। यह जानकारी श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ समिति की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में यज्ञ प्रणेता श्री 108 स्वामी भरतदासाचार्यजी ने दी। महाराज ने बताया कि महायज्ञ प्राचीन ऋषि परम्पराओं के अनुरुप किया जाएगा। जिसमें एक ही यजमान होगा जो 55 हजार मंत्रों से आहूतियां देंगे। वैदिक परम्पराओं पर आधारित अनुष्ठान ही उनका प्रमुख ध्येय है समाज को सही मार्ग मिले एवं नियमपूर्वक भगवत हो।
समिति के अध्यक्ष बाबूलाल मोहता, महामंत्री गोपाल अग्रवाल, कोषाध्यक्ष बलदेव के अनुसार 25 नवम्बर से 3 दिसम्बर तक चलने वाले नौ दिवसीय महायज्ञ का शुभारम्भ स्वामी संवित् सोमगिरीजी महाराज के करेंगे।, इस मौके पर गायत्री सेवाश्रम के अधिष्ठाता रामेश्वरानंदजी पुरोहित का भी सानिध्य रहेगा। महायज्ञ में यज्ञाचार्य पंडित बालकृष्ण शास्त्री तथा मुख्य यजमान सुमनदेवी-बाबूलाल मोहता होंगे। वहीं श्रीमद् भागवत कथा का वाचन पं. जुगलकिशोर शास्त्री करेंगे । प्रथम दिन कथा का पूजन मंजू देवी-राजकुमार सारडा करेंगे।

रासलीला होगी
सांयकाल वृंदावन की राम श्याम लीला संस्थान के कलाकारों द्वारा रासलीला का मंचन किया जाएगा। आयोजन की सफलता के लिए तीनों ही कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया गया है।

यह है समय सारिणी
आयोजन से जुड़े विजय आचार्य ने बताया कि महायज्ञ सुबह साढ़े आठ बजे से दोपहर 12 बजे, फिर ढाई से सांय साढ़े छह बजे तक किया जाएगा। वहीं भागवत कथा का समय प्रात: साढ़े बजे शुरु होकर दोपहर साढ़े बारह बजे तक चलेगी फिर 3 से सांय साढ़े पांच बजे तक चलेगी। इसी तरह श्री रासलीला सांय साढ़े सात बजे से रात्रि साढ़े दस बजे तक होगी।

40 वर्ष में 106 महायज्ञ
महाराज ने बताया कि 1973 से अब तक वे पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश सहित अनेक राज्यों में 105 महायज्ञ करा चुके हैं । यह 106वां महायज्ञ मुरली मनोहर धोरा मैदान पर कर रहे हैं। राजस्थान में यह 25वां महायज्ञ होगा ।
उनके द्वारा 107 वां महायज्ञ गीता भूमि कुरुक्षेत्र में पुरुषोत्तम मास के अवसर पर 21 मई से 29 मई 2018 तक होगा व संकल्प की पूर्ति के लिए 108 वां महायज्ञ इन्द्रप्रस्थ की भूमि दिल्ली पर होगा।
– मोहन थानवी

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