ग़म को देखते ही
मार दो गोली
दुख को
कहकहों से डराकर
दूर भगा दो
फिर करीब आने से
वो घबराए, कतराए।
सुनना तो दूर
कोई देखेगा भी नहीं
तुम्हारी ओर,
गर ….
तुम हरदम
अपने ही गम का
राग अलापोगे।
कोई ये न समझे कि
दुख, मुसीबतें, परेशानी
तुम्हारे हिस्से ही आया है
अरे ये सब तो वो कुदरती सौगात है
कम अथवा ज्यादा
हरेक की झोली में आया ही आया है।
सच तो ये है
मेरे साथियो
झूमने लगेगी
साथ तुम्हारे
ये सारी कायनात
जब भी
हंसी-खुशी की मस्त धुन
तुम जो छेड़ोगे।
इसीलिए तो कहता हूं कि गम को मारो गोली 00
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– श्याम कुमार राई
‘सलुवावाला’