शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले

bikaner samacharबीकानेर। 19 दिसम्बर 2017 शहीदों ने अपनी कुर्बानियों से इस देश को सही मायने में देश बनाया है। शहीदों की कुर्बानियों की बदौलत ही आज हम आजाद फिज़ा में सांस ले रहे हैं। शहीदों को याद करना हमारी खुशकिस्मती तो है ही साथ ही नौजवान पीढ़ी के लिये प्रेरणा का सबब भी है। यह कहना था वरिष्ठ साहित्यकार भवानी शंकर व्यास विनोद का जो फ्रेण्डस एकता संस्थान द्वारा महाराजा नरेन्द्रसिंह ऑडिटोरियम में शहीद अशफाक उल्ला खां और रामप्रसाद बिस्मिल सहित काकोरी काण्ड के शहीदों की याद में आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में विचार व्यक्त कर रहे थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में कथाकार नदीम अहमद नदीम ने कार्यक्रम की अवधारणा से अवगत करवाया तथा फ्रेण्डस एकता संस्थान के अध्यक्ष वली मोहम्मद गौरी के जुनून और जज्बे की सराहना की। इस अवसर पर नदीम अहमद नदीम ने एक भजन भी प्रस्तुत किया।
फ्रेण्डस एकता संस्थान के अध्यक्ष वली मोहम्मद गौरी ने संस्थान का परिचय देते हुए शहीदे आजम अशफाक उल्ला खां का कलाम पेश कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर वली मोहम्मद गौरी ने कहा कि संस्थान का प्रमुख उद्देश्य शहीदों के विचारों का प्रसार युवा पीढ़ी तक करना है। वरिष्ठ लेखक और विचारक बृजेन्द्र गोस्वामी अपने पत्र वाचन में कहा कि शहीदे आजम अशफाक उल्ला खां और रामप्रसाद बिस्मिल हमेशा उनके आदर्श रहे हैं। उन्हांेने कहा कि शहीदों की जीवनियां बच्चों और युवाओं तक पहुंचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। बृजेन्द्र गोस्वामी ने अशफाक उल्ला खां द्वारा अपनी मां को लिखे पत्रों का वाचन भी किया जिससे माहौल मार्मिक हो गया।
विशिष्ट अतिथि जाकिर अदीब ने अपने उद्बोधन में कहा कि शहीदांे का मुख्य लक्ष्य देश को आजाद करवाना था और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शहीदों ने जाति धर्म से ऊपर उठकर अनुकरणीय कार्य किया था। वर्तमान समय में भी उनकी शिक्षाएं प्रासंगिक है।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ शाइर गुलाम मोहियुद्दीन माहिर ने कहा कि शहीदों के एहसान को कभी चुकाया नहीं जा सकता। आज जरूरत इस बात की है कि स्कूली पाठ्यक्रम में शहीदों का जिक्र और बखान ज्यादा से ज्यादा हो। हमारा रोम रोम शहीदों का कर्जदार है। इस अवसर पर उन्होंने शहीदों की याद में एक नज़्म भी पढ़ी।
युवा साहित्यकार हरीश बी शर्मा ने इस अवसर पर आजादी की लड़ाई में बीकानेर के योगदान को याद किया और नई पीढ़ी को संस्कारित करने के लिए बीकानेर के शहीदों को भी याद करने की जरूरत बताई।
स्वतंत्रता सेनानी सत्यनारायण पारीक के सुपुत्र कमलकिशोर पारीक ने आजादी की लड़ाई का जिक्र करते हुए युवा पीढ़ी को साम्प्रदायिकता और नफरत की राजनीति से दूर रहने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि किशन कुमार आजाद ने शहीदों को याद करने के लिए फ्रेण्डस एकता संस्थान की सराहना करते हुए बीकानेर के योगदान को शिद्दत से याद किया और कहा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आजादी की सार्थकता तभी है जब मानवता को विभाजित करने वाली शक्तियों को परास्त किया जा सके तथा युवाओं के जहन में देश सर्वोच्च स्थान पर रहे। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि बीकानेर में सभी धर्मों के लोगों के साथ प्रतिवर्ष तिरंगा यात्रा निकाली जानी चाहिए।
फ्रेण्डस एकता संस्थान की ओर से हिन्दी साहित्य के लिए बुलाकी शर्मा, राजस्थानी के लिए श्रीमती मोनिका गौड़, उर्दू के लिए डॉ. जियाउल हसन कादरी, रंगमंच के लिए सुरेश हिन्दुस्तानी, समाजसेवा के लिए हीरालाल हर्ष तथा समाजसेवा एवं साहित्य, पत्रकारिता में विशिष्ट योगदान के लिए इसरार हसन कादरी का सम्मान किया गया। सम्मान के तहत शॉल, श्रीफल, सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह एवं सोशल प्रोग्रेसिव सोसाइटी बीकानेर द्वारा प्रकाशित साहित्य भेंट किया गया। सभी सम्मानित शख्सियात का परिचय हरीश बी शर्मा ने दिया। समाजसेवी नेमचन्द गहलोत एवं मंच संचालक हरीश बी शर्मा को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
संजय जनागल, डॉ. मेघना शर्मा, सरदार अली पड़िहार, सीमा भाटी, राजेन्द्र जोशी, महेन्द्र जैन द्वारा अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में रंगकर्मी इकबाल हुसैन, डॉ. मुनव्वर अली जैदी, लेखिका मुक्ता तैलंग, मोहम्मद अली, डॉ. सुलक्षणा दत्ता, सुल्ताना, कनिजा, आबिदा परवीन, गफार लोहार, अलाबक्श कालूजी, बुनियाद हुसैन जहीन, असद अली असद, जगदीश चन्द्र शर्मा, नेमचन्द गहलोत, अब्दुल वहीद, वहीद अहमद, राजाराम स्वर्णकार, प्रेरणा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रेमनारायण व्यास, चन्द्रशेखर हर्ष, खैरूनिशा, मईनुदीन कोहरी नाचीज, गुलफाम हुसैन, मोहम्मद शाहिद, सरफराज, मोहम्मद अबरार गौरी, समीर भिश्ती, मनीष बिहारी की गरिमामय उपस्थिति रही। आभार संस्थान के उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम समन्वयक एडवोकेट शमशाद अली ने व्यक्त किया तथा मंच संचालन हरीश बी शर्मा ने किया।

वली मोहम्मद गौरी
अध्यक्ष

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