मोबाइल टावर नीति पर हाईकोर्ट सख्त

राज्य की मोबाइल टावर नीति पर एतराज जताने पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाई, इसके बाद केंद्र ने नीति पर विरोध दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार को भेजा पत्र वापस ले लिया। मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनियों के अस्पतालों पर लगे टावरों को मरीजों के हित में बताने पर मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश नरेन्द्र कुमार जैन-प्रथम की खण्डपीठ ने सवाल उठाया कि फिर जहां टावर नहीं हैं, उन अस्पतालों में नेटवर्क कैसे आ रहा है?

अगली सुनवाई 8 नवम्बर को होगी।

खण्डपीठ ने शुक्रवार को इस मसले से सम्बन्घित पूर्व न्यायाधीश आई.एस. इसरानी व निर्मला सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान सामने आया कि एक अक्टूबर, 2012 को दूरसंचार सचिव ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मोबाइल टावर स्थापना के बारे में बनाई नीति को राज्य सरकार के अघिकार क्षेत्र से बाहर बताया और उसे लागू नहीं करने को कहा। इससे पहले 10 सितम्बर को भी दूरसंचार मंत्रालय से जुडे टर्म सेल के निदेशक जी.एस. शेखावत ने भी राज्य सरकार से इस मसले पर कार्रवाई नहीं करने को कह चुका है। प्रार्थीपक्ष के वकील प्रतीक कासलीवाल ने केन्द्र के इस रवैये पर एतराज जता इसे अदालती कार्यवाही में दखल बताया।

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