भाषा को आगे बढ़ाने का प्रथम दायित्व साहित्यकारों का है

अखिल भारतीय सिन्धी लेखक एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न

जयपुर, 4 फरवरी (वि.)। राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा 4 फरवरी, 2018 को झालाना ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट, जयपुर में अखिल भारतीय सिन्धी लेखक सम्मेलन एवं कवि सम्मेलन समारोह पूर्वक आयोजित किया गया।
सम्मेलन में देशभर के 80 से अधिक साहित्यकारों ने सिन्धी भाषा, साहित्य, कला एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्द्धन हेतु ’’राजस्थान जे सिन्धी अदब में नवाण’’ के साथ ’’मौजूदा दौर में सिन्धी बोलीअ जो आइन्दो’’ विषयों पर विभिन्न सत्रों में अपने विचार प्रकट किये।

उद्घाटन समारोह
सम्मेलन का उद्घाटन अतिथियों द्वारा ईष्टदेव झूलेलाल जी की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि शिक्षा राज्यमंत्री श्री वासुदेव देवनानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी भाषा को आगे बढ़ाने का सबसे अधिक दायित्व साहित्यकारों का होता है। सिन्धी भाषा देश की सबसे प्राचीन, सुसंस्कृत, मधुर एवं समृद्ध भाषा है एवं हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिये। उन्होंने अकादमी अध्यक्ष श्री हरीश राजानी एवं टीम की सराहना करते हुये कहा कि श्री राजानी ने अल्प समय में सिन्धी भाषा के विकास के लिये अनेक योजनाओं पर अमल किया है जिसमें राज्य सरकार द्वारा पूर्ण सहयोग दिया जा रहा है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुये अकादमी अध्यक्ष श्री हरीश राजानी ने अपने उद्बोधन में अकादमी की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये कहा कि अकादमी सिन्धी भाषा, साहित्य, कला एवं संस्कृति के विकास के लिये कटिबद्ध है एवं साहित्यकारों के सहयोग ही से इसे गति प्रदान की जा सकती है, इसके लिये आप सभी के सुझाव आमंत्रित हैं एवं आपके सुझावों को अमल में लाने का विश्वास दिलाता हॅू। उन्होंने कहा कि सिन्धी विषय लेकर अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को अकादमी द्वारा पुस्तकें, प्रोत्साहन राशि/छात्रवृति सहित अन्य सभी सुविधायें भी उपलब्ध करवाई जा रही है।

समारोह के विषिष्ठ अतिथि प्रमुख शासन सचिव, कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग डा0सुबोध अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि सिन्धियों के सरनेम ’’नी’’ से उनकी जल्दी पहचान हो जाती है। सिन्धी भाषा एक ऐसी भाषा है जो किसी प्रान्त से जुड़ी हुई नहीं होने के बावजूद इतनी तरक्की कर रही है। विशिष्ठ अतिथि भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक श्री नवलराय बचानी, समाजसेवी श्री नारी फुलवानी, वरिष्ठ साहित्यकार सर्वश्री सुन्दर अगनानी, वासदेव मोही एवं मोहन हिमथानी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

प्रथम सत्र – राजस्थान जे सिन्धी अदब में नवाण
सम्मेलन के प्रथम सत्र में अजमेर की वरष्ठि साहित्यकारा डा0कमला गोकलानी ने ’’राजस्थान जे सिन्धी अदब में नवाण’’ विषय पर विस्तार से पत्र वाचन किया। सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री लक्ष्मण भंभाणी ने की। पत्र पर प्रथम टिप्पणी ब्यावर के प्रो.अर्जुन कृृपलाणी एवं जयपुर की डॉ0माला कैलाश ने की। सत्र के विशिष्ट अतिथि अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्री मोहनलाल वाधवानी ने कहा कि सिन्धी भाषा को संविधान में मान्यता के 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वर्ण जयंती वर्ष के रूप में अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं जिसमें सिन्धी बाल संस्कार शिविर, संगोष्ठियां, रथयात्रायें व ऑन लाईन परीक्षायें मिलकर आयोजित करवाई जा रही है।

द्वितीय सत्र – मौजूदा दौर में सिन्धी बोलीअ जो आइन्दो
सम्मेलन के द्वितीय सत्र में इन्दौर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री चुन्नीलाल वाधवाणी ने ’’मौजूदा दौर में सिन्धी बोलीअ जो आइन्दो’’ विषय पर विस्तार से पत्र वाचन किया। सत्र की अध्यक्षता जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्री भगवान अटलानी ने की। पत्र पर प्रथम टिप्पणी अहमदाबाद के साहित्यकार डॉ0जेठो लालवाणी एवं अजमेर के डॉ0हासो दादलाणी ने की। सत्र के विशिष्ठ अतिथि भारतीय सिन्धु सभा, राजस्थान के प्रदेश महामंत्री श्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने उद्बोधन में कहा कि सिन्धी विषय लेकर अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों को भाषा के साथ संस्कृति का भी ज्ञान करवाया जा रहा है। महाराजा दाहिरसेन, शहीद हेमू कालाणी जैसे महापुरूषों के प्रेरक प्रसंगों से युवाओं को गर्व महसूस होता है। प्रमुख समाजसेवी श्री मोहन नानकानी ने विचार प्रकट करते हुये कहा कि ऐसी संगोष्ठियों के साथ युवाओं को भी जोड़ना चाहिये। भारतीय सिन्धु सभा राजस्थान के महानगर अध्यक्ष श्री चन्द्र वरयानी भी विशिष्ठ अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित थे।

अखिल भारतीय सिन्धी कवि सम्मेलन
अखिल भारतीय सिन्धी कवि सम्मेलन की अध्यक्षता अहमदाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार श्री वासदेव मोही ने की। विशिष्ठ अतिथि सिन्धु वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष श्री हरगुन आसनदास नेभनानी थे। मंच संचालन आदीपुर की सुश्री विम्मी सदारंगानी ने की।

सम्मेलन में अलीगढ के सर्वश्री अर्जुन चावला, दिल्ली के मोहन हिमथानी, रायपुर के कैलाश शदाब, इन्दौर की रश्मि रमानी, अहमदाबाद के विक्रम शहाणी, जयपुर के हरीश करमचंदाणी, डॉ0खेमचन्द गोकलानी, वीना करमचंदानी, लक्ष्मण पुरूसवाणी, नारायणदास पारवाणी, रोमा चांदवानी, उदयपुर के गोपीचन्द रामेजा, बीकानेर के सुरेश हिन्दुस्तानी, जोधपुर की लीला कृृपलानी, भीलवाड़ा के डॉ0एस0के0लोहानी ’’खालिस’’, अजमेर के रमेश नारवानी ’’नींगर’’, अहमदाबाद के वासदेव मोही एवं आदीपुर की विम्मी सदारंगानी ने काव्य पाठ किया।

कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरीश करमचंदााणी थे एवं मंच संचालन अजमेर की श्रीमती अनिता शिवनानी ने की। अकादमी सचिव श्री ईश्वर लाल मोरवानी ने सभी आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

(ईश्वर लाल मोरवानी)
सचिव

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