मृत्युभोज, दहेजप्रथा, अफीम,डोडा समाज के लिए कलंक-कुण्डल

सर्व समाज आगे आकर पहल करे व समाज को एक नया संदेश दे

बाड़मेर /सर्व समाज मे मृत्युभोज, दहेजप्रथा, अफीम, डोडा का प्रचलन अधिकाधिक हो रहा है। दिखावे के चक्कर मे इसका प्रचलन बढ़ रहा है जो समाज के विकास में रोड़ा बन रहा है। यह सब प्रथाएं आने वाले समय मे बहुत घातक सिद्ध हो सकती है। रावणा राजपूत समाज के युवा प्रदेशाध्यक्ष पहाड़सिंह कुण्डल ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए बताया कि हमे इन प्रथाओं को जड़ से मिटाने की आवश्यकता है यह प्रथाएं समाज के लिए कलंक है। कुण्डल ने सर्व समाज से अपील करते हुए कहा कि सर्व समाज इस प्रथाओं को मिटाने हेतु आगे आकर पहल करे व इन प्रथाओं को बंद करने वालो को प्रोत्साहित करके उनका मनोबल बढ़ाने हेतु हौसला अफजाई करे। काफी समाजो ने आगे आकर पहल की है जिनमे राजपुरोहित समाज ने एक साथ पूरे प्रदेश में इस पर अंकुश लगाया है जो राजपुरोहित समाज बधाई का पात्र है। रावणा राजपूत समाज में भी 80 प्रतिशत इन प्रथाओं पर अंकुश लगा है। जल्द ही पूरे प्रदेश में अंकुश लग जायेगा। साथ ही राजपूत समाज ने भी काफी प्रथाओं पर पाबंदी लगाई है। जो अन्य समाजो के लिए बहुत ही अच्छा संदेश है ।अब हमें भी सर्व समाज को राजपुरोहित समाज से सिख लेते हुए एक साथ इन सब प्रथाओं को मिटाने हेतु प्रयास करने चाहिए। इसके लिए प्रत्येक समाज के युवाओ को इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। युवा ही आगे आकर अपने अपने समाज मे पहल कर सकते है । आज के इस महंगाई के समय को देखते हुए हमें इन प्रथाओं को खत्म करने की आवश्यकता है। यह प्रथाएँ समाज के विकास में सबसे बड़ी रुकावट बनी हुई है। यदि हम इन प्रथाओं को जड़ से खत्म करते है तो निश्चित रूप से अपने परिवार , समाज , प्रदेश व देश का विकास होगा । यह खर्चे फालतू के खर्चे है जिनका कोई औचित्य नही है।इन कुरूतियो में खर्च होने वाले रुपयों को शिक्षा के क्षेत्र में व समाज की विधवा बहिनो व असहायों की मदद करने में लगाए जिससे समाज का विकास होगा व पुण्य मिलेगा।इस कारण सर्व समाज आगे आकर पहल करे व इस कलंक को जड़ से मिटाने में सहयोग करे।

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