विधायक डॉ. गोपाल जोशी विधानसभा बजट सत्र में विभिन्न मुद्दों को उठाया

डाॅ. गोपाल जोशी विधायक, बीकानेर (पश्चिम) ने आज विधानसभा बजट सत्र के दौरान शिक्षा विषय पर बोलते हुए कहा कि राजस्थान राज्य के गठन के समय जयपुर को राजधानी, जोधपुर को हाईकोर्ट की तरह बीकानेर को शिक्षा (प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च, तकनीकी संस्कृत) आवंटित किया गया था। लेकिन धीरे-धीरे इन विभागों को यहां से हटाकर जयपुर स्थानांतरित किया जा रहा है, जहां पहले से ही बहुत वर्कलोड है, इनमें नए खुल रहे विभागों को भी जयपुर के अधीन किया जा रहा है, रमसा को भी हटा दिया गया, जिससे बीकानेर को कमजोर किया जा रहा है। टाईप से संबंधित गलती को भी मंत्री जी से ठीक करवाना पड़ता है, जबकि यहां आई.ए.एस. अधिकारी है, लेकिन वो कर नहीं सकते, यह बीकानेर व आमजन के साथ व अन्याय है।
विधायक डाॅ. जोशी ने बोले कि विद्यार्थी के लिए प्राईमरी शिक्षा उसके आगे की पढ़ाई का आधार होता है, जिसको धीमे-धीमे कमजोर किया जाकर केवल पास पर ही फोकस हो रहा है, 8वीं तक अगर गुणवत्तायुक्त शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो आगे की शिक्षा बेहतर हो ही नहीं सकती जिससे बच्चे आगे जाकर कमजोर होते हैं। डाॅ. जोशी ने प्राईमरी शिक्षा पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया।
डाॅ. जोशी ने कहा कि मैंने पूर्व में मंत्री जी से प्राईमरी शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के आॅफिस के बीकानेर लाने हेतु निवेदन किया था, जिस पर उन्होंने मुझे आश्वस्त कर कहा था कि बीकानेर ले आएगें, लेकिन अभी तक नहीं लाए, लोग हमें गाना सुनाते हैं, वायदे हैं, वायदों का क्या।
डाॅ. जोशी ने प्रतिबंधित जिलों में स्थानांतरण से संबंधित पाॅलिसी को स्पष्ट करने का भी मुद्दा उठाया, जिसमें उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित जिलो से कितने समय बाद स्थानान्तरण हो सकेगें आदि नियमों को स्पष्ट करें, जिससे हम उस हिसाब से रिकमण्डेशन कर सकें।
डाॅ. जोशी ने सदन में लिटरेट और एजुकेशन के बीच अन्तर स्पष्ट करते हुए बोले कि केवल किताबी ज्ञान ही नहीं वरन् उसका जीवन में उपयोग और व्यवहार पर जोर दिया जाए, इस प्रकार शिक्षा को पढ़ाया जाए।
डाॅ. जोशी ने छात्रो को पढ़ाए जाने वाले इतिहास में परिवर्तन करने की मांग की, डाॅ. जोशी ने कहा कि अकबर की महानता के बजाय महाराणा प्रताप जो कि जीतकर भी हारे थे, व वीर शिवाजी जैसे कुशल योद्धा के संघर्ष से छात्रो को रूबरू करवाने का मुद्दा उठाया।
(सदन में कविता के माध्यम से वर्णन किया)
(जब अकबर के सामने सरेण्डर का एक संदेश गया तो उनके यहां पर पृथ्वीराज सिंहजी एक बीकानेर के थे जो बहुत बड़े कवि भी थे तो उन्होंने कहा बादशाह सलामत, अगर चाहो तो मैं पूछ लेता हूं, मुझे तो यह लगता नहीं है कि उनका कहा हुआ है। बाद में उन्होंने एक कविता लिखी। कविता लिखी तो लिखी क्या, वह लिखते हैंरू-
‘पटकूं मूछां पाण, पटकूं मूछां पाण,
कै पटकूं निस्तन करां, दीजे लिख दीजे दीवान,
इन दो महिला बात एक।‘
इन दोनों के बीच में से एक बात लिख दीजिए कि ‘पटकूं मूछां पाण, या पटकूं निस्तन करां।‘
फिर महाराणा ने भी क्या लिखा। महाराणा ने लिखारू-
‘तुरक कहां सी मुख पतौ
इण मुख सूं इकलिंग’
इस मुख से तो एकलिंग ही बोला जायेगा, तुरक नहीं बोला जायेगा। यह देख लिया।
‘ऊगै ज्योंही ऊगसी, प्राची बीच पतंग’
जठै सूरज ऊगै, वठै ही ऊगसी। पूरब में ही ऊगसी। दूसरी जगह कौनी ऊगै। इन चीजों को अगर अब हिस्ट्री में लिखो, यह देखो कि सिकन्दर कौन है? महाराणा प्रताप जो हारी हुई बाजी को जीत गया। यह कहावत उसके अन्दर शामिल होनी चाहिए। जो हारी हुई बाजी को जीतता है, वह महाराणा प्रताप। जो हारी हुई बाजी को जीत जाता है, वह शिवाजी। शिवाजी के बारे में भी जिस ढंग से उन्होंने लिखा है, पहाड़ी जानवर है, कोई उस ढंग का आदमी है। शिवाजी इतने हिम्मत वाले, होशियार और …)
डाॅ. जोशी ने बीकानेर (पश्चिम) विधानसभा में जनसंख्या को देखते हुए छात्राओं के उच्च शिक्षा के लिए सरकारी विश्वविद्यालय के खोलने की मांग की।
डाॅ. जोशी ने रमसा को खेल-कूद के मैदान, सरकारी विद्यालयों की स्थिति को सुधारने हेतु बजट व कार्य करने का मुद्दा उठाया।
डाॅ. जोशी ने तकनीकी विश्वविद्यालय की स्वीकृति हेतु उच्च शिक्षा मंत्री को धन्यवाद दिया, लेकिन स्टाफ व कार्य संचालन न होने की कमी को दूर करने की मांग की व मंत्री जी से अपने वायदा पूर्ण करने का आग्रह किया।

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