हजार घोड़ों का सवार के सृजक कथा पुरुष को शहर ने किया नमन

बीकानेर। कथापुरुष यादवेंद्र शर्मा ‘चंद्र’ की नौवीं पुण्यतिथि पर नत्थूसर बास स्थित ब्रह्म बगीचा में सांझी विरासत की ओर से स्मरण-सभा आयोजित की गई। स्मरण-सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण रंगा ने यादवेंद्र शर्मा ‘चंद्र’ के साथ बिताए बचपन के दिनों का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने अनेक अविस्मरणीय चरित्र साहित्य के इतिहास में दिए हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा कि यादवेंद्र शर्मा ‘चंद्र’ आजीवन साहित्य साधक के रूप में सक्रिय रहे। उनके समग्र अवदान का सम्यक मूल्यांकन होना चाहिए। विशिष्ट अतिथि डॉ. श्रीलाल मोहता ने कहा कि चंद्र जी राष्ट्रीय पटल पर बीकानेर से उभरने वाले बहुआयामी लेखक के रूप सदा याद किए जाते रहेंगे।
कार्यक्रम के आरंभ में आयोजक संस्था सांझी विरासत की ओर से राजेन्द्र जोशी ने यादवेंद्र शर्मा चंद्र का स्मरण करते हुए अनेक बातें साझा कीं। बुलाकी शर्मा ने अपने कथा-गुरु यादवेंद्र शर्मा ‘चंद्र’ का स्मरण करते हुए कहा कि दो सौ से अधिक कृतियों के सृजक, वरेण्य साहित्यकार, कथापुरुष यादवेंद्र शर्मा ‘चन्द्र’ की स्मृति उनके मानस में इतनी गहरी है कि वे सदा प्रेरणास्पद रहेंगे।
मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि यादवेंद्र शर्मा ‘चंद्र’ के लेखन से निरंतर और सक्रिय लेखन की सीख लेनी चाहिए। नवनीत पांडे ने चंद्रजी का स्मरण करते हुए उनके अवदान को रेखांकित किया । डॉ. नीरज दइया ने कहा कि उनका राजस्थानी कथा साहित्य को अविस्मरणीय अवदान है। कमल रंगा ने कहा कि यादवेंद्र शर्मा चंद्र एक बेबाक और निर्भीक लेखक थे। कार्यक्रम में शब्दांजलि देने वालों में साहित्यकार मोहन थानवी, पी आर लील, प्रो अजय जोशी, इसरार हसन कादरी, लोकेश आचार्य, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, भंवरलाल ‘भ्रमर’, नागेंद्र किराडू, मूलचंद बोहरा, योगेंद्र पुरोहित, प्रेमरतन व्यास तथा चंद्रजी का पौत्र दिलीप बिस्सा एवं पुत्र कृष्ण कुमार बिस्सा आदि अनेक प्रबुद्ध जन शामिल हुए। कार्यक्रम में चंद्रशेखर जोशी, इसरार हसन कादरी, इकरामुदीन कोहरी, विष्णु शर्मा, डॉ. मुरारी शर्मा, नागेश्वर जोशी सहित अनेक ने पुष्पांजलि अर्पित की। आभार राजाराम स्वर्णकार ने ज्ञापित किया।

– मोहन थानवी

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