बी.एस.एफ. हेतु ऊँटों के रखरखाव व प्रबंधन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरू

बीकानेर,15 मार्च। बी.एस.एफ. हेतु ऊँटों के रखरखाव व प्रबंधन (‘हैंडलिंग एण्ड मैनेजमेंट ऑफ कैमल‘) पर गुरूवार से तीन दिवसीय प्रशिक्षण एनआरसीसी में शुरू हुआ।
इस अवसर पर भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द के निदेशक डॉ.एन.वी.पाटिल ने कहा कि रेगिस्तान की भीषण गर्मी, अकाल आदि विषम परिस्थितियों में भी बिना किसी शारीरिक लक्षण को प्रकट किए आरामपूर्वक जीवन यापन करने वाली उष्ट्र प्रजाति का देश की सीमा चौकसी में भी अद्वितीय योगदान रहा है परंतु बदलते दौर में इसकी उपयोगिता प्रभावित हो रही है। ऊँटों में विद्यमान अनुकूलन की विशेषता एवं सहनशीलता के चलते सीमा सुरक्षा बलों में ऊँटों की मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से ऊँटों के रखरखाव व प्रबंधन संबंधी व्याख्यान न केवल जवानों के ज्ञान में अभिवृद्धि होगी बल्कि इस व्यावहारिक प्रशिक्षण सें ऊँटों के रखरखाव में और अधिक सहायता मिलेगी।

कार्यक्रम में बीएसएफ के डिप्टी कमाण्डेंट डॉ.विनय यादव ने कहा कि बीएफएफ में ऊँटों का विशेष योगदान है तथा जवान भी सीमा चौकसी आदि में ऊँटों के उपयोग को तरजीह दें ताकि इस प्रजाति को भी संरक्षण मिले। इस अवसर पर केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.आर.के.सावल, ने भी अपने विचार रखे। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.राकेश रंजन ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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