डॉ. मंजु कछावा के दो ग़ज़ल संग्रह ‘गूँजती ख़ामोशी’ और ‘मैं नहीं हूँ’ जाहिर हुए

बीकानेर।
बज़्मे-फ़िक्रो-फ़न द्वारा रखे गए अदबी जलसे में बीकानेर के उर्दू अदब की दुनिया में पहली बार चर्चित शाइरा डॉ. मंजु कछावा के दो नये ग़ज़ल संग्रहों ‘गूँजती ख़ामोशी’ और ‘मैं नहीं हूँ’ को मेहमानों ने जाहिर किया। संस्था के जनरल सेक्रेट्री एवं स्वागताध्यक्ष डॉ. मोहम्मद हुसैन ने सभी का खैरमकदम किया और कहा कि डॉ.मंजु कछावा संजीदा मिज़ाज़ रखने वाली ख़ामोश तबीयत की शाइरा है |
खास मेहमान राजस्थानी के वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने कहा कि डॉ. मंजु कछावा की ग़ज़लें उर्दू हिंदी तहज़ीब की गंगा जमुनी धारा के प्रवाह को एक नया वेग देती हुई प्रतीत होती है | कृतियों पर पत्र वाचन रवि शुक्ला और डॉ. शकीला बानो ने किया | साहित्यकार आलोचक संपादक भवानी शंकर व्यास विनोद ने कहा कि डॉ. कछावा की ग़ज़लों में कथ्य की भूमिका से ज्यादा भंगिमा की भूमिका रहती है जलगांव महाराष्ट्र से आए शाइर ज़ुबैर अली ‘ताबिश’ ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि डॉ. कछावा का व्यक्तित्व एक संत एवं सूफ़ी की तरह है और यही बात उनकी शाइरी में भी अभिव्यक्त होती है |
कार्यक्रम के संयोजक युवा शाइर क़ासिम बीकानेरी ने डॉ मंजु कछावा की सृजनयात्रा बताई। डा कछावा के 5 काव्य और ग़ज़ल की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है | एक अनुवादक के तौर पर भी मंजू का काम सराहनीय है |कार्यक्रम में मंजु कछावा ने अपनी ग़ज़लों को प्रस्तुत करते हुए इस शे’र से खूब वाहवाही लूटी और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया- ‘कोई ये दूसरा है मैं नहीं हूं / मुझी में जो छुपा है मैं नहीं हूं |’ आपके इस शे’र को भी ख़ूब पसंद किया गया-‘ मेरी आंखों में कोई और ही है /जो सपने देखता है मैं नहीं हूं |’ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि डॉ कछावा मानवीय संवेदना और सामाजिक सरोकारों ग़ज़लकार हैं। कार्यक्रम में संस्था द्वारा शॉल,माल्यार्पण एवं स्मृति चिन्ह द्वारा डॉ. मंजु कछावा को सम्मानित किया गया | वरिष्ठ शाइर मोहम्मद हनीफ शमीम बीकानेरी एवं डॉक्टर सतीश कच्छावा को लेखिका द्वारा पुस्तकें भेंट की गई डॉक्टर ऋचा कछावा ने संग्रह-जाहिर करवाने में मेहमानों की सहूलियत के इंतजामात किए।
आभार संस्था अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफ़ी ने ज्ञापित किया | कार्यक्रम में गरिमामय उपस्थिति के रूप में चिंतक डॉक्टर नंदकिशोर आचार्य वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा, डॉ. मदन सैनी ,डॉक्टर सीताराम गोठवाल, डॉक्टर सुलोचना गोठवाल, सीमा भाटी, प्रमोद कुमार शर्मा, नृत्यांगना संगीता माहेश्वरी, प्रमिला गंगल, सुषमा महाजन,रामप्रकाश कछावा, आत्माराम भाटी, मुरलीमनोहर माथुर सहित अनेक शख्सियतें मौजूद थीं |
– ✍️ मोहन थानवी

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