भक्ति साहित्य के मानकीकरण की आज की आवश्यकता है

भक्ति साहित्य के मानकीकरण की आज की आवश्यकता है भारतवर्ष में प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों का खजाना है जिसमें अथाह ज्ञान लिखा है उनका पाठालोचन पर आधारित पाठ संपादन होना चाहिए जिससे इन वाणीकारों के मूल भाव को समझा जा सके। पाठभेद किसी भी काव्य के मूल भाव को नष्ट कर देता है तथा पाठकों के सम्मुख दुविधा उत्पन्न करता है यह निष्कर्ष आज जाम्भाणी साहित्य अकादमी भवन बीकानेर में शुरू हुई त्रिदिवसीय पाठालोचना कार्यशाला के प्रथम दिवस पर व्यक्त किए इस तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के अध्यक्ष डॉक्टर इंदुशेखर तत्पुरुष की अध्यक्षता में और डॉक्टर नंदकिशोर पांडे निदेशक केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा उत्तर प्रदेश के मुख्य आतिथ्य में हुआ। डॉक्टर पांडे ने पांडुलिपियों के इतिहास एवं परंपराओं पर विस्तार से प्रकाश डाला आपने कहा कि प्राचीन पांडुलिपियां हस्त लिपियों का प्रकाशन किया जाना चाहिए इससे मानवता का भला होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर तत्पुरुष ने कहा कि गुरु जांभोजी युगपुरुष थे उनसे जुड़े साहित्य का प्रकाशन होना चाहिए आज समय की मांग है कि कोई भी साहित्य पाठानुसारथार के आधार पर ही प्रकाशित होना चाहिए ताकि एक रूपता बनी रहे बीज वक्ता डॉ बाबूराम कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने पाठालोचन के महत्व एवं प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए स्वामी कृष्णानंद जी आचार्य जांभाणी साहित्य अकादमी ने सभी विद्वानों का स्वागत किया।जाम्भाणी साहित्य अकादमी की संरक्षिका डॉ सरस्वती विश्नोई ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर सुरेंद्र कुमार खीचड़ महासचिव जाम्भाणी साहित्य अकादमी ने किया उद्घाटन सत्र के बाद प्रथम सत्र में डॉ आनंद प्रकाश त्रिपाठी डॉ बीएल बदानी भल्लूराम खीचड़ डॉक्टर सुरेंद्र डी सोनी श्रीमती पुष्पा विश्नोई आचार्य स्वामी सच्चिदानंद जी ने अपने पत्रों का वाचन किया द्वितीय सत्र में डॉ करुणाशंकर उपाध्याय डॉ कृष्णकुमार कौशिक स्वामी कृष्णानंद आचार्य डॉ कृष्ण लाल बिश्नोई भी ने भी अपने पत्र वाचन किए।
कल राष्ट्रीय कार्यशाला के द्वितीय दिन डॉक्टर के के शर्मा डॉक्टर सर्वेश कुमार शर्मा डॉक्टर गजे सिंह राजपुरोहित डॉ ओमप्रकाश भादू श्री मोहनलाल लोमरोड डॉ रामकिशोर डॉ अन्नाराम शर्मा डॉ उषा गोस्वामी अनिल धारणीया उदारामजी खिलेरी डॉ लालचंद बिश्नोई डॉक्टर हरिशंकर मिश्र डॉ देवेंद्र कुमार सिंह गौतम डॉ कृष्णकुमार कौशिक डॉ बनवारी लाल साहू डॉ रणजीत सिंह डॉ श्री शंकर कड़वासरा श्री भंवर सिंह सामौर डॉ उमाकांत गुप्त अशोक कुमार संभ्रवाल कृष्णलाल बिश्नोई ममता बिश्नोई डॉक्टर मनमोहन लटियाल सहित कई विद्वानों के पत्र वाचन किए जाएंगे।

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