बीटीयू संघटक पात्रता के बावजूद ईसीबी की अनदेखी, खमियाजा भुगतेगा बीकानेर

बीकानेर 3 सितंबर 18। बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के लिए संघर्ष करने वाले बीकानेर के नागरिकों को बीटीयू तो मिल गया किंतु विडम्बनाएं अभी भी सामने आ रही हैं। बीटीयू प्रदेश का दूसरा तकनीकी विवि है। बीटीयू बीकानेर संभाग में तकनीकी शिक्षा के नव आयाम स्थापित करने के लिए तत्पर हो, उससे पहले ही व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे हैं। सभी वांछित संसाधनों से युक्त, ईसीबी की अनदेखी करते हुए राज्य सरकार ने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी सीईटी को राजकीय बनाते हुए बीटीयू का संघटक कालेज बना दिया है। इससे न केवल ईसीबी स्टाफ बल्कि ईसीबी के छात्रों में भी असंतोष व्याप्त हो गया है। राज्य सरकार ने जब बीकानेर संभाग में बीकानेर तकनीकी विवि खोलने का निर्णय अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर में पहले से मौजूद आधारभूत सुविधाएं, फैकल्टी, स्टाफ, विविध पाठ्यक्रम, सर्वाधिक छात्र संख्या, एआईसीटीई एवं यूजीसी के नियमों को ध्यान में रखते हुए किया तब कोई इस बात का अंदेशा नहीं कर सकता था कि बीटीयू अपने शैशव काल में इस कॉलेज की बजाय किसी अन्य को वरीयता देते हुए पहले दौर का संघटक कालेज बना लेगा। किंतु ऐसा हुआ है और इस पर अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर विकास समिति ने प्रतिक्रिया स्वरूप ईसीबी को शीघ्र ही बीटीयू का संघटक कालेज बनाने की मांग सरकार से की है। इस संबंध में रविवार को जिला उद्योग संघ रानीबाजार इंडस्ट्रीयल एरिया रानीबाजार में प्रेसवार्ता आयोजित कर समिति पदाधिकारियों एवं ईसीबी स्टाफ ने सरकार को भेजे गए अपनी मांग की मजबूती के लिए 13 सूत्रीय प्रपत्र के बारे में बताया। इन 13 सूत्रों में ईसीबी की 500 करोड़ की भूमि, संसाधनों से मिलने वाले लाभ सहित बीटीयू के लिए महत्वपूर्ण अन्य सहयोगी बिन्दुओं को अन्य कालेज, संस्थाओं से तुलनात्मक विवरण के साथ बताया है। समिति के डा ओपी जाखड़, डा शौकत अली, राजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में यह भी कहा गया है कि ईसीबी को शीघ्र बीटीयू का संघटक कालेज नहीं बनाने से बीकानेर संभाग के संबंधित प्रतिभावान विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा एवं रोजगार के प्रचुर संभावनाओं भरे भविष्य से वंचित रह जाना पड़ेगा। समिति पदाधिकारियों के अलावा प्रेसवार्ता में मौजूद महावीर पुरोहित, समिति सदस्यों, बड़ी संख्या में छात्र-छा़त्राओं ने भी ईसीबी को बीटीयू का संघटक कालेज शीघ्र बनाए जाने संबंधी अपने अपने विचार साझा किए।
– मोहन थानवी

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