देश विदेश के 250 से अधिक वैज्ञानिक बीकानेर में जुटे

हरित रसायन पर अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला प्रारम्भ
बीकानेर 15 अक्टुबर। सम्भाग के सबसे बड़े डूंगर महाविद्यालय बीकानेर के तत्वावधान में हरित रसायन विषयक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन रविन्द्र रंग मंच पर हुआ। ग्रीन केमिस्ट्री नेटवर्क सेन्टर दिल्ली के महत्वपूर्ण प्रयोगों का प्रदर्शन वृहद स्तर पर हुआ। मीडिया प्रभारी डॉ. राजेन्द्र पुरोहित ने बताया कि उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. राकेश शर्मा, विशिष्ट अतिथि डॉ. संजय वाजपेयी अध्यक्ष तकनीकी मिशन प्रभाग नई दिल्ली तथा अध्यक्षता गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह रहे। अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्वलन कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया। प्राचार्य डॉ. सतीश कौशिक ने सभी अतिथियों एवं आगन्तुकों का महाविद्यालय की ओर से स्वागत किया। उन्होनें इस प्रकार की कार्यशाला को समाज के लिये अति उपयोगी बताया। रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आर.एस. वर्मा एवं पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. आर.पी. माथुर ने विभाग की ओर से अतिथियें का स्वागत किया तथा कार्यशाला की महत्ता पर प्रकाश डाला। कार्यशाला के संयोजक डॉ. नरेन्द्र भोजक ने कार्यशाला की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस कार्यशाला में रसायन विभाग के एम.एससी. के विद्यार्थियों द्वारा निर्मित छह लघु फिल्मों के प्रदर्शन के साथ ही वेस्ट वाटर के उपयोग संबंधी प्रयोगों का प्रदर्शन किया जावेगा।
मुख्य अतिथि विश्व विद्यालय के प्रो. राकेश शर्मा ने बताया कि हरित रसायन इको फ्रेन्डली प्रवृति की होती है एवं इसमें महाविद्यालय के विद्यार्थियों का अधिकाधिक सहभागिता आवशक है। डॉ. शर्मा ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जहां पूरा विश्व प्रदूषित हो रहा वहां इसकी उपयोगिता और भी अधिक बढ़ जाती है। उन्होनें कहा कि हरित रसायन का मुख्य उद्देश वातावरण को हानिकारण रसायनों से मुक्त करना है। उन्हानें कहा कि समाज को हरित रसायन को अपनाना होगा तभी इस प्रकार की कार्यशाला की सार्थकता सिद्ध हो सकेगी। विशिष्ट अतिथि डॉ. वाजपेयी ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि शोध कार्य का चयन समाज की उपयोगिता के अनुरूप ही होना चाहिये।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने कहा कि जल का पुनःचक्रण वर्तमान समय की मांग है एवं वैज्ञानिकों को इस हेतु समुचित उपायों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए तकनीक का विकास करना चाहिये। प्रो. सिंह ने कहा कि वर्तमान में कृषि आदि क्षेत्रों में काम आने वाले रसायन एवं फर्टीलाईजर्स पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं इसे दूर करने में हरित रसायन विशेष रूप से सहायक हो सकती है। उन्होनें कहा कि उद्योगों में भी हरित रसायन के उपयोग द्वारा प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आयोजन सचिव डॉ. सत्यनारायण जाटोलिया ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
संयोजक डॉ. नरेन्द्र भोजक ने बताया कि प्रथम दिन पांच तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता प्रो.आर.के.शर्मा रहे एवं अध्यक्षता प्रो. आर.वी.सिंह एवं डॉ. धर्मचन्द्र जैन ने की। द्वितीय सत्र में प्रो. संजय वाजपेयी एवं डॉ. आलोक अधोलेया ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। अध्यक्षता प्रो. आर.के.शर्मा एवं डॉ.एच.के.पाण्डे ने की। तृतीय में पर्किन एल्मर कम्पनी द्वारा हरित रसायन संबंधी प्रायोगिक कार्य को प्रस्तुत किया। चौथे सत्र में ग्रीन केमिस्ट्री नेटवर्क सेन्टर दिल्ली के प्रो. आर.के.शर्मा, श्रीपर्णा दत्ता एवं राधिका गुप्ता ने प्रयोगों का प्रदर्शन किया। आयोजन सचिव डॉ. उमा राठौड़ ने बताया कि पांचवें सत्र में अमेरिका के डॉ. भास्कर सी.दास ने ई प्रस्तुतीकरण देते हुए हरित रसायन के द्वारा औषधीय प्रयोगों पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे शोध कार्य की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। कार्यशाला में देश विदेश के लगभग 250से भी अधिक वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं।

– ✍️ मोहन थानवी

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