मेडिकोज का मच्छरों के खिलाफ हल्ला बोल

(“निरामया” कार्यक्रम में 223 मेडिकल स्टूडेंट्स ने 37 गाँवों में जगाई स्वास्थ्य की अलख
गाँवों में दिखेगा 10 का दम)

बीकानेर। एसपी मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों ने गाँव-ढाणी जाकर मच्छरों के खिलाफ हल्ला बोल अभियान को आगे बढ़ाया। उन्होंने मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों, उनसे बचाव व रोकथाम के बारे में ग्रामीणों को जागरूक किया। स्वस्थ गाँव: स्वस्थ राजस्थान मूलमंत्र पर आधारित “निरामया” कार्यक्रम के दूसरे अभियान के तहत बुधवार को वेक्टर बोर्न डिजीज की रोकथाम थीम पर जन जागरण किया गया। ग्रामीणों को स्वास्थ्य, स्वच्छता, सेनीटेशन एंड हाईजीन व स्वस्थ जीवन शैली से जोड़ने का प्रयास किया गया व रोगों से बचाव के उपाय भी बताए गए। सीएमएचओ डॉ. बी.एल. मीणा ने बताया कि “निरामया” कार्यक्रम में मेडीकल कालेजों के विद्यार्थियों द्वारा आमजन को प्रिवेन्टिव हैल्थ केयर एंड हैल्दी लिविंग स्टाईल के बारे में जानकारियां दी जा रही हैं। प्रथम अभियान में 26 सितम्बर को स्वस्थ वातावरण थीम पर ग्रामीणों को जागरूक किया गया था अब उन्हीं 37 गाँवों में डेंगू-मलेरिया, चिकनगुनिया व अन्य वाहक जनित बीमारियों से बचाव, रोकथाम व उपचार विषय पर स्वास्थ्य शिक्षा दी गई।
डीपीएम सुशील कुमार ने बताया कि निरामया के प्रथम चरण में अब 31 अक्टूबर, 14 नवम्बर एवं 28 नवम्बर को फिर अभियान चलाया जायेगा। दो चरणों में आयोजित होने वाले इस निरामया कार्यक्रम में जागरूकता की कुल दस थीम रहेंगी। निरामया कार्यक्रम बीकानेर व प्रदेश के अन्य 6 जिलों, अजमेर, जयपुर, कोटा, झालावाड, जोधपुर एवं उदयपुर के चिन्ह्ति गांवों में संचालित किया जा रहा है।

गाँवों में दिखेगा 10 का दम
जागरूकता अभियान की थीम अनुसार ग्रामीणों को एंटी लार्वा गतिविधियों के 10 उपाय बताए गए जिन्हें अपनाकर वे मच्छरों को पनपने से रोक सकते हैं। मेडिकोज द्वारा घरों व विद्यालयों में 10 के दम दिखाते हुए मौके पर ही लार्वा नष्ट किए गए। आरसीएचओ डॉ. रमेश गुप्ता ने बताया कि प्राचार्य डॉ. आर.पी. अग्रवाल के निर्देशन में सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के 223 विद्यार्थी, 37 मेंटर, 112 टीमों में विभक्त होकर प्रातः 9 बजे 37 वाहनों के माध्यम से जिले के चयनित 37 गाँवों के लिए महारैली के रूप में रवाना हुए। इस अवसर पर अभियान के नोडल डॉ. अभिषेक क्वात्रा, डॉ. कीर्ति शेखावत व डॉ. लोकेश कुमार ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। गाँवों में पहुंचकर आंगनवाड़ी अथवा अन्य तय स्थान पर ग्रामीणों को इकठ्ठा कर स्वास्थ्य शिक्षा दी गई। क्षेत्र के चिकित्साधिकारियों, आशा सुपरवाईजर, एएनएम, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने सक्रिय योगदान दिया।

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