विश्वनाथ संन्यास आश्रम में भागवत कथा

स्वर्ग-नरक शास्त्रोक्त व वैज्ञानिक -ब्रह्मचारी शिवेन्द्र स्वरूप
बीकानेर, 28 नवम्बर। मुरलीधर व्यास काॅलोनी के विश्वनाथ संन्यास आश्रम में चल रहे भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में बुधवार को मायाकुंड, ऋषिकेश के ब्रह्मचारी शिवेन्द्र स्वरूप महाराज ने कहा कि स्वर्ग-नरक की कहावत शास्त्रोक्त व वैज्ञानिक है। कर्मों के अनुसार व्यक्ति को लोक-परलोक में स्वर्ग-नरक से सुख-दुःख भोगना पड़ता है।
समाज सेवी स्वर्गीय दुर्गाराम मौसूण व उमा देवी सोनी की स्मृति में आयोजित भागवत कथा में मुख्य यजमान श्रीनारायण व अशोकादेवी सोनी ने भागवत व देवपूजन करवाया। कथा स्थल पर श्रद्धालुओं को लाने व वापस गंतव्य स्थल तक छोड़ने के लिए आधा दर्जन से अधिक बसों की व्यवस्था शहर के विभिन्न इलाकों से की गई है। कथा सुबह दस बजे से दोपहर एक बजे तक व दोपहर ढ़ाई बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक नियमित 3 दिसम्बर तक चलेगी। कथा का श्रवण करने के लिए शहर के विभिन्न इलाकों के साथ आस पास के गांवों, देशनोक,नापासर,नाल, किसमीदेसर,उदयरामसर, नोखा, श्रीडूंगरगढ़ आदि स्थानों से नियमित बड़ी संख्या में पहुंच रहे है।
ब्रह्मचारी शिवेन्द्र स्वरूप महाराज ने स्वर्ग-नरक की व्याख्या करते हुए कहा कि कर्मों के अनुसार लोक-परलोक में जीव को सुख-दुख भोगना पड़ता है। पूर्व जन्मों के अनुसार एक कुत्ता लाखों रूपए की कार में घूमता है, अच्छा भोजन करता है तथा आलीशान मकान में रहता है, वहीं दूसरी ओर एक कुत्ते को दो जून की रोटी भी नसीब नहीं होती है। कर्मों के अनुसार ही मनुष्य को बीमारियों से कष्ट भोगना पड़ता है। उन्होंने कहा की मनुष्य जीवन को सार्थक करने के लिए भगवत स्मरण के साथ व्यक्ति को अच्छे कर्म करने चाहिए। अच्छे कर्म व प्रभु नाम स्मरण से बुरे कर्मों का फल भी अच्छा मिलने लगता है।

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