कानून का राज नहीं है क्या?

हाईकोर्ट ने अमानीशाह नाले के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण और नियम विरुद्ध निर्माण बर्दाश्त नहीं करने का संकेत देते हुए मौखिक रूप से कहा कि सब जगह राजनीति हावी हो रही है, क्या कानून का राज नहीं है? कोर्ट ने मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यू से कहा कि हर हाल में बहाव क्षेत्र खाली होना चाहिए, समयबद्ध कार्रवाई के लिए सरकार प्लान पेश करे।

मामले की बुधवार को सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायाधीश नरेन्द्र कुमार जैन प्रथम की खण्डपीठ ने पी.एन. मैंदोला की जनहित याचिका सहित अन्य की आधा दर्जन याचिकाओं पर सुनवाई की।

सोमवार सुबह सरकारी पक्ष ने नाले के बहाव क्षेत्र का नक्शा पेश करने में असमर्थता जाहिर करते हुए कहा कि 1981 से पूर्व की स्थिति बहाल करने में कई व्यावहारिक दिक्कतें हैं। इसी बीच याचिकाकर्ता पक्ष ने नक्शा पेश कर दिया। मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यू, प्रमुख नगरीय विकास सचिव जी.एस. संधू, जयपुर कलेक्टर टी. रविकांत, जेडीए आयुक्त कुलदीप रांका और नगर निगम सीईओ जगरूप यादव के साथ समय से पहले ही कोर्ट पहुंच गए थे।

चाहे जो दिक्कत आए अतिक्रमण हटाओ

मुख्य सचिव मैथ्यू ने कुछ बताना चाहा, इस पर कोर्ट ने कहा पिटारा मत खुलवाइए। नाले के बहाव क्षेत्र की सेंटर लाइन क्या है, यह सब जानते हैं? चाहे जो दिक्कत आए अतिक्रमण हटाए जाएं। बिल्डरों और कॉलोनाइजरों ने लोगों को ठगा है, इसलिए गरीबों का पुनर्वास किया जाए, प्रभावशाली लोगों की मदद नहीं करें। सरकार ने बहाव क्षेत्र खाली कराने के लिए 6 माह का समय मांगा। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से बहाव क्षेत्र खाली कराने का समयबद्ध प्लान पेश करने को कहा, मुख्य सचिव को इसकी जिम्मेदारी दी।

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