गुर्जरों को मिला 5 फीसदी आरक्षण

जयपुर:आखिरकार राजस्थान सरकार ने गुर्जरों को अलग से पिछड़े वर्ग में 5 फीसदी आरक्षण दे ही दिया है। चुनाव से पहले  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अगड़ी जातियों की नाराजगी दूर करने के लिए आर्थिक पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने का ऐलान किया है जो अगड़ी जातियों को 14 फीसदी आरक्षण देने पर फैसला करेगा। गहलोत ने किसी भी वर्ग के आरक्षण में बिना छेड़छाड़ के गुर्जरों को अलग से आरक्षण दिया है।  राज्य कैबिनेट ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट मंजूर कर ली।

इसी के साथ विशेष पिछड़े वर्ग में गुर्जर समेत राज्य के पांच वर्गों को 5 फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया। जबकि राज्य में आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की बताई 50 फीसदी की सीमा पार कर 54 फीसदी तक पहुंच गया है। मगर सरकार का तर्क है कि खास परिस्थियों में सीमा के बाहर आरक्षण देने की छूट है। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी केस में कहा है कि विशेष परिस्थितियों में इस सीमा से ज्यादा आरक्षण दे सकते हैं। गहलोत सरकार की परेशानी गुर्जरों के साथ-साथ अगड़ी जातियां भी हैं।

वसुंधरा राजे सरकार ने गुर्जरों को 5 फीसदी के साथ अगड़ी जातियों को भी 14 फीसदी आरक्षण देने का विधेयक पास कराया था, लेकिन 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा होने के कारण हाईकोर्ट ने इसे लागू करने पर रोक लगा दी थी। कैबिनेट ने एक तीर से दो शिकार करते हुए अगड़ी जातियों के लिए आर्थिक पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन पर भी मुहर लगा दी। जो अगड़ी जातियों को 14 फीसदी आरक्षण देने पर विचार करेगा। मालूम हो कि सूबे में अगले साल विधानसभा चुनाव है। दूसरी तरफ गुर्जर सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं।

उनका कहना है कि उन्होंने राज्य के लिए दिए गए 50 फीसदी के संवैधानिक दायरे में आरक्षण मांगा था। सरकार के कदम पर अपना रुख तय करने के लिए गुर्जर नेता बैठक कर रहे हैं। उधर, सरकार कानूनी पेचीदगियों में उलझने से बचने के लिए हाईकोर्ट के सामने ओबीसी आयोग की रिपोर्ट रख सकती है। जिसने गुर्जरों को 50 फीसदी से बाहर विशेष आरक्षण के लिए उनके पिछड़ेपन के आंकड़े मांगे थे।

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