एस्सिलॉर के आई मित्र ऑप्टेशिअन प्रोग्राम के कारण ग्रामीण भाग में बुनियादी दृष्टी देखभाल क्षेत्र में नए आयाम

जयपुर, – 7 जुलाई/अगस्त एस्सिलॉर द्वारा आज उनके इन्क्लूज़िव बिझनेस, 2.5 न्यू विजन जनरेशन (2.5 एनवीजी) की ओर से सस्ते दामों में एक करोड़ से अधिक (10 मिलियन) भारत के गरीब लोगों के लिए विजन केअर उत्पाद मुहईया करानें की घोषणा की. इस योजना की शुरूआत भारत में 2013 में की गई थी. इस घोषणा से कंपनी नें 2050 तक दृष्टीदोष से मुक्ती प्राप्त करनें के लक्ष्य की ओर और एक कदम बढ़ाया है.
दृष्टीदोष पर उपाय ना करनें से भारत में 55 करोड (55० मिलियन) लोगों को समस्याओं का सामना करना पडता है तथा हर साल उन्हें उसके लिए 3700 करोड़ यूएसडॉलर्स (37बिलियन यूएसडॉलर्स) का खर्च उठाना पडता है. आंध्रप्रदेश में काम करनेंवाले पुरूषों पर किए गए एक अभ्यास के मुताबिक चष्मा पहननेंवाले लोगों में यह पाया गया की उनकी कार्यक्षमता में 34 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई तथा उनकी आय 20 प्रतिशत से बढ़ी. दुनियाभर के 7.5 बिलियन लोगों में से 4.5 बिलियन लोगों में आँखों की समस्याएं पायी गई है, इनमें से केवल 2 बिलियन लोगों ने इलाज कराया. मतलब दुनिया में आज 2.5 बिलियन लोगो की दृष्टी में समस्याएं है, ऐसी स्थिती अगर रहतीं है तो 2050 तक यह संख्या ३ बिलियन तक पहुंचनें के आसार है.2.5‍बिलियन लोगों में से लगभग 15 प्रतिशत जनसंख्या विकसनशील देशों में है.
भारत में लगभग40 हजार ऑप्टेशिअन्स है और इनमें से अधिकतर बड़ें शहरों में है, भारत की लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण भाग में रहतीं है. इस समस्या से निजात पाने के लिए 2013 में आई मित्र ऑप्टेशिअन प्रोग्राम की शुरूआत की गई . प्रशिक्षण, कौशल्य विकास और जीवनव्यापन प्रसार के माध्यम से इस कार्यक्रम के तहत बेरोजगार तथा कम रोजगार प्राप्त युवकों को ग्रामीण भाग में अपनीं छोटी कंपनी शुरू करनें के लिए प्रोत्साहीत किया गया. 12 महिनों के प्रशिक्षण (2 महिने क्लासरूम और 10 महिने ऑन दी जॉब ट्रेनिंग) के बाद उन्हें बेसिक जांच और सस्ते दरों में चष्मे उपलब्ध करानें का उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है.आईमित्रों द्वारा अब दृष्टी की जांच करना मुमकिन कर दिया था. आज 14 राज्यों में लगभग ६ हजार आई मित्र है, यह दुनिया का सबसे विशाल ग्रामीण ऑप्टिकल नेटवर्क है जो 200 मिलियन लोगों को दिर्घकालीन विजन केअर सुविधाएं दे रहें है. 2020 तक इस तरह से 10 हजार आईमित्र तैय्यार करतें हुए अधिकतर सेवा ‍विरहीत क्षेत्र में उन्हें काम देनें की योजना बनायी गई है.

“ दृष्टी दोष पर इलाज ना करना दुनिया की सबसें बड़ी समस्या है और इस से 3 में से 1 व्यक्ती बाधित है, इनमें से लगभग 10 प्रतिशत लोग विकसनशील देशों में बसें है जिन्हें इन सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती या उन्हें इस के बारें में जानकारी नहीं होती. इन देशों में बसें ग्राहकों के लिए विशेषरूप से उत्पादनों को तैय्यार करना पडता है तथा सस्ते दामों में उत्पादनों की जरूरत होती है जिस से उनकी समस्याओं का समाधान हो सकें. आईमित्र कार्यक्रम इस समस्या का अनोखा समाधान है.” एस्सिलॉर के इन्क्लुजिव बिज़नेस और फिलॅन्थ्रॉपी के सिनियर डाईरेक्टर मिलिंद जाधव नें कहा.
राजस्थान में एस्सिलॉर की ओर से आईमित्र ऑप्टेशिअन प्रोग्राम का बी-एबल (बेसिक्स अकादमी फॉर बिल्डिंग लाईफ लाँग एम्प्लॉइबिलिटी) इस बेसिक्स ग्रुप ऑफ लाईवलीहुड प्रमोशन इन्स्टिट्यूशन के साथ गठजोड कर चलाया जा रहा है. बी- एबल यह एनएसडीसी (नैशनल स्कील डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) और एचएसएससी (हेल्थ सेक्टर स्कील काऊन्सिल) की भागिदार है. उनका पहला केंद्र अल्वर में 2013 में स्थापित ‍किया गया और अब उनके ४ ऐसे केंद्र कार्यरत है. १ हजार से भी अधिक आई मित्र ऑप्टेशिअन्स अब राजस्थान के ३१जिलों में काम कर रहें है तथा 2020 तक यह संख्या 1500 तक ले जानें की योजना है.

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