नई तकनीक से साहित्य एवं संस्कृति की होगी पहचान

तकनीकी विवि के कुलपति ने किया वैब का लोकार्पण
श्रीडूंगरगढ़. आज के युग में तकनीकी से हर समस्या का समाधान सम्भव है। समाज की जागरूकता के लिए वैबसाइड का जरिया काफी महत्वपूर्ण है। संस्था की वैब से साहित्य व संस्कृति की पहचान होगी। यह उद्गार तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एच.डी. चारण यहां की राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की वैब के लोकार्पण अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। संस्कृति भवन में आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रो. चारण ने कहा कि यह संस्था सामाजिक सरोकार से जुड़ी हुई है। राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार प्रसार में यह वैब वरदान सिद्ध होगी। मातृ भाषा पर बोलते हुए प्रो. चारण ने कहा कि मानवीय मूल्यों के लिए मातृभाषा का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है। अपने बच्चों के साथ मातृभाषा में बोलचाल हो, ताकि वर्तमान में भाषाओं के चक्कर में अपनी मातृभाषा लुप्त ना हो। अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्याम महर्षि नेक कहा कि वैब से साहित्य व संस्कृति की जानकारी देश विदेश में आसानी से मिल सकेगी। इसकी जरूरत लम्बे समय से महसूस की जा रही थी। विशिष्ट अतिथि पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि पिछले ६० वर्षो से यह संस्था साहित्य के लिए निरन्तर कार्य कर रही है। इसकी पहचान साहित्य नगरी के रूप में बनी हुई है। विशिष्ट अतिथि समाजसेवी गोविन्द ग्रोवर ने कहा कि वैब का लोकापर्ण संस्था के लिए स्वर्णिम अवसर है। राजस्थान इंजीनीरिंग कॉलेज के सहायक प्रोग्रामर कपिल व्यास वैब साइड का उद्देश्य बताते हुए कहा कि संस्था के माध्यम से साहित्य एवं संस्कृति के लिए की जा रही गविधियों को सार्वजनिक कर आमजन तक पहुंचाने एवं एक ही क्लीक में पूरी जानकारी वैब के जरिए मिल सकेगी। साहित्यकार मालचन्द तिवाड़ी ने संस्था के स्थापन काल से आज तक के सफर की जानकारी देते हुए कहा कि इस संस्था ने कई ख्यातनाम साहित्यकार, कत्थाकार व कहानीकार समाज को दिया है और साहित्य के क्षेत्र में देश के पटल पर अपना नाम अंकित करवाया है। साहित्यकार रवि पुरोहित ने कहा कि वैब के शुरू होने से संस्था की शोध पत्रिका ‘जूनी ख्यातÓ और लोक चेतना की राजस्थानी त्रैमासिकी ‘राजस्थलीÓ भी ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेगी। इस दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. भंवर भादानी, भंवरसिंह सामौर, डॉ. चेतन स्वामी, डॉ. मदन सैनी, सत्यदीप, मोहन थानवी, श्रीभगवान सैनी, रामचन्द्र राठी, बजरंग शर्मा, राजेन्द्र प्रसाद सोनी, महावीर माली, पूर्व प्रधान दानाराम भांभू, भंवलाल भोजक, विजयसिंह पारख, विजयराज सेठिया, एडवोकेट रेवन्तमल नैण, भैरूंदान स्वामी, श्रीकृष्ण खण्डेलवाल सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
काव्य गोष्ठी में दी प्रस्तुति:
यहां संस्कृति भवन के सभागार में चले कविता के दौर में कवियों ने कविताओं के माध्यम से देश भक्ति, व्यंग्य, हास्य व श्रृंगार रस के दीदार करवाए। रतनगढ़ के कवि मनोज चारण ने ‘मातृभूमि की वंदना सबसे पहले सोचÓ बीकानेर की मनीषा आर्य सोनी ने ‘मां के आंखों में बसा है श्रद्धा का इन्तजारÓ तथा शंकरसिंह राजपुरोहित ने ‘पढ़ी लिखी आ बिनणी पणघट पर चाली रेÓ की प्रस्तुतियों ने समा बांधी। वहीं केकड़ी की मंजू गर्ग ने ‘सीखा दो प्रेम दुनिया को यशोदा नन्दन बन जाओÓ के कविता पाठ ने प्रेम की परिभाषा को उजागर किया। अध्यक्षता करते हुए मोहन थानवी ने कहा कि कविता छोटी भले ही हो, लेकिन गागर में सागर भर देती है।

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