उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में संशोधन किये जाने की शक्ति हमारी संसद में निहित है तथा जिस बिल को संसद ने पास करके काननू का दर्जा दिया है उसे राजस्थान में लागू नहीं करने की बात करना संविधान की सीमा का खुला उंल्लघन तो है ही साथ ही वोट बैंक की राजनीति के लिए समाज में भ्रम का वातावरण निर्मित करने का प्रयास है।
पूर्व मंत्री देवनानी ने कहा कि पड़ौसी इस्लामिक देशो में रहने वाले हिन्दू, सिक्ख, ईसाई, सिन्धी अल्पसंख्यक लोग जो कि वहां पर होने वाले धार्मिक व सामाजिक उत्पीड़न की पीड़ा भोगकर हमारे देश में आकर शरणार्थी के रूप में रह रहे है उनके संरक्षण के लिए यह कानून बना है जिसके के लिए कांग्रेस के भी कई प्रमुख नेताओं ने समय-समय पर आवाज उठाई थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वंय अपने पिछले कार्यकाल में ऐसे शरणार्थियों को बसाने के समर्थन में थे परन्तु अब जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने नागरिकता संशोधन कानून बनाकर इसे लागू किया है तो गहलोत साहब इसे मानने से इन्कार क्यों कर रहे है ?
देवनानी ने कहा कि कांग्रेस वामपंथियों के साथ मिलकर देश के युवाओं को इस विषय पर भ्रमित कर देश में उन्माद फैला रही है जबकि बिल्कुल स्पष्ट है कि यह कानून शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है तथा इसका किसी भी भारतीय की नागरिकता पर कोई असर नहीं होगा।