केयर्न एनर्जी मैं काम करने वाले मजदूरों को कोरोना बीमारी से बचने के लिए कंपनी ने मास्क व सैनिटाइजर ही नहीं दिए और जहां मजदूर रहते हैं उस एरिया को सैनिटाइज भी नहीं किया और ना ही कंपनी ने सोशल डिस्टेंस का पालन किया कमठा मजदूर यूनियन बाड़मेर के अध्यक्ष लक्ष्मण बडेरा ने नागाणा के पास स्थित केयर्न एनर्जी कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के मुलाकात कर जानकर आश्चर्य व्यक्त किया कि इन मजदूरों को जनवरी के बाद सैलरी तक नहीं दी जब भुगतान का नाम लेते हैं तो दीप कंपनी की मालिक श्रीमती माया सिंह ने 8 अप्रैल को कवास में मजदूरों के निवास स्थान पर आकर कहती है कि कि तुम नाली के कीड़े हो तुम थूक कर चाटने वाले हो मैं तुम्हें भुगतान नहीं करूंगी और उसके साथ में एक आदमी राहुल उसने कहा कि तुमने अगर हस्ताक्षर नहीं किए तो तुम्हारे हाथ पैर तोड़ देंगे फिर नागाणा पुलिस थाने के सब इंस्पेक्टर अमर सिंह को कंपनी मालिक माया सिंह ने बुलाया अमर सिंह ने कहा इनका भुगतान कर दो हस्ताक्षर कर देंगे तब माया सिंह ने 9 अप्रैल को भुगतान करने का आश्वासन दिया लेकिन मजदूरों को भुगतान नहीं किया तो 15 अप्रैल को मजदूरों ने ओसवाल कंपनी को फोन किया ओसवाल कंपनी ने कोई जवाब नहीं दीया ओसवाल कंपनी के अशोक ने कहां हम आपको सैलरी नहीं देंगे हमारा आपसे कोई मतलब नहीं है तुम्हें सैलरी देने का और हम तुम्हें अगर राशन उपलब्ध कराते हैं यह भी हमारा एहसान है ऐसी दर्दनाक एमपीटी कंपनी बाड़मेर में तेल उत्पादन करने वाली कंपनी में काम करने वाली कंपनियों के मजदूरों की हालत है इस हालत को देखकर बहुत ही आश्चर्य होता है कंपनी दिखावा करने के लिए अखबारों के माध्यम से कभी सरकार को करोड़ों रुपए का मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के राहत कोष में दान देने का स्वयंसेवी संस्थाओं को सहयोग करती है लेकिन कंपनी में काम करने वाले जो मजदूर कंपनी के आस-पास रहते हैं उन लोगों को कोरोना बीमारी से बचने के लिए मास्क तक उपलब्ध नहीं करवाए इससे ज्यादा क्या खतरनाक बात हो सकती है मजदूर नेता लक्ष्मण बडेरा ने बताया कि राजस्थान सरकार ने एक आदेश जारी करके कहा कि कंपनियों को निर्देशित किया कि कोई भी कंपनी किसी मजदूर को नौकरी से नहीं निकालेगीवह लोग डाउन अवधि का भुगतान भी करेगी लेकिन can energy mein मैं काम करने वाली किसी भी कंपनी ने किसी भी मजदूरी का भुगतान नहीं किया और उससे पहले जो काम किया था उसका भी भुगतान नहीं किया गया यह भी नहीं है इससे पूर्व इस कंपनियों ने यहां पर रहने वाले मकान मालिक है लक्ष्मण बडेरा ने यह कहा है कि यह मजदूर अधिकतर यूपी बिहार पश्चिम बंगाल झारखंड छत्तीसगढ़ किसके हैं और वहां पर उनके परिवार जन अत्यंत दुखद स्थिति में है 3 महीने से परिवार को उन्होंने पैसा नहीं भेजा उसकी वजह से पारिवारिक स्थिति भी बहुत ज्यादा खराब हो गई उनकी वजह से यह घर पर भी नहीं जा सकते मजदूर देता लक्ष्मण बडेरा ने जिला कलेक्टर बाड़मेर विश्राम मीणा को मेल करके यह मांग की है कि इन कंपनियों को पाबंद करें और मजदूरों को तत्काल भुगतान करें और इन मजदूरों को को रोना बीमारी से बचने के लिए मास्क सैनिटाइजर और जिस एरिया में रहते हैं वहां से पूरे एरिया को sanitize किया जाए मजदूर नेता लक्ष्मण वडेरा ने जब इन मजदूरों के हालात जाने तो बहुत ही आश्चर्य हुआ क्योंकि अधिकारी जो अखबारों में खबर देते हैं वह घर भेजने का आश्वासन तो देते हैं लेकिन उनको इस बीमारी से बचने के लिए मास्क सैनिटाइजर नहीं उपलब्ध कराते हैं और ना ही उनकी सैलरी दिलाने का प्रयास करते हैं ऐसे में अधिकारियों पर आरोप लगाया कि अधिकारी कंपनी मालिकों के साथ में मिलीभगत कर मजदूरों को खदेड़ ना चाहते हैं इसलिए मजदूरों के हकों को लेकर लक्ष्मण वडेरा ने जिला कलेक्टर बाड़मेर को मैसेज भेज कर तत्काल ही इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है और बाड़मेर शेर और उसके आसपास में रुके हुए सभी मजदूरों की वास्तविक हालत की जानकारी लेकर उचित कदम उठाने की मांग की है और सभी मजदूरों को सैलरी देने की मांग की है अन्यथा यूनियन सत्याग्रह करेगी जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार और जिला प्रशासन की होगी मजदूरों का शोषण किसी भी तरीके से बर्दाश्त नहीं करेंगे मजदूरों को जिस प्रकार से डराया और धमकाया जा रहा है एक दंडनीय अपराध दर्ज किया जाए और इन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन किया जाए ताकि मजदूरों का हक दबा नहीं सके
