मृत्युभोज बंदी अभियान मैं राजस्थान की सरपंच प्यारी रावत बनी अग्रदूत

प्यारी रावत
राजस्थान राज्य में मृत्यु भोज बंदी को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त चर्चा का माहौल बना हुआ है। राजस्थान सरकार ने इसको लेकर अब 1960 के अधिनियम का हवाला देते पुनः पुलिस विभाग के माध्यम से पत्र जारी किया है। मृत्यु भोज बंदी की चिंगारी राजस्थान प्रांत के मेवाड़ क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली राजसमंद जिले की भीम तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत मंडावर की सरपंच प्यारी रावत ने जनवरी में हुए पंचायती राज चुनाव में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को सामने रखते हुए चुनाव लड़ा। जानकारी के अनुसार राजस्थान की है यह दबंग एवं उच्च शिक्षित सरपंच के चर्चे जोरदार हैं। वह अपनी काबिलियत के दम पर पिछले कार्यकाल में आबकारी विभाग, राजस्थान सरकार को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था । राजस्थान सरकार से बार -बार निवेदन करने के बाद शराबबंदी नहीं करने पर अपने गांव में शराब बंदी कराने की ठान ली। साधारण परिवार से निकली चूल्हे चौके तक सीमित होने के बावजूद सरपंच ने आबकारी नियम को टटोला और नियमों के अंतर्गत बिल्कुल व्यवस्थित तरीके से अभियान की लड़ाई करीब 2 वर्ष स्थानीय प्रशासन, सरकार के नुमाइंदों, आबकारी विभाग से लड़ी। अपने पांच हजार की आबादी वाले गांव सरकारी दो ठेके संचालित होते थे। प्रतिदिन एक लाख से अधिक का शराब घटक लिया जाता था। उस गांव में आज सरकार का ठेका नहीं है। सरकार के खिलाफ लड़ी सरपंच प्यारी रावत के साथ महिलाओं की भारी समर्थन प्राप्त हुआ। राजस्थान के इतिहास में शराबबंदी कराने के लिए सरपंच, विधायक एवं सांसद की तरह वोट पड़े । आबकारी विभाग क्लिष्ट असम्भव जैसे नियम होने के बावजूद भी उसको पार लगाया और गांव को सदा सदा के लिए शराब मुक्त कर दिया। सरपंच प्यारी देवी शराब माफियाओं, प्रशासन और राजस्थान सरकार की किरकिरी बन गई । मण्डावर के आसपास क्षेत्रों में शराबबंदी को लेकर एक दर्जन से अधिक गांवों में यह चिंगारी आग की तरह फैल गई । इसके बाद आसपास के जिलों को उदयपुर, अजमेर, पाली, भीलवाडा, चित्तौड़गढ़ सहित राजस्थान के कई गांवों में शराबबंदी को लेकर आंदोलन चले परंतु सरकार के निकम्मे पन के कारण इन अभियानों को दबा दिया गया । शराबबंदी के अतिरिक्त इस गांव में एक से बढ़कर एक नवाचार मुहिम चलाकर अपने गांव को प्रदेश में सुर्खियों में लाकर अव्वल दर्जे में लाकर खड़ा कर दिया।
जनवरी 2020 में हुए पंचायती राज के चुनाव में सरपंच प्यारी रावत को हराने के लिए जातीय पंचों, शराब माफियों, स्थानीय प्रशासन ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी परंतु प्यारी देवी के साथ महिलाओं की शक्ति से पुनः अप्रत्याशित जीत हासिल करके सरपंच बनी और इस बार नंबर था मृत्यु भोज बंद की का। मृत्यु भोज बंदी को लेकर जनवरी से लगातार सक्रिय रहकर इस अभियान को गति दी परंतु सफलता मिलना आसान नहीं था। अकाल मौत व युवा मौत के मामले में शोकाकुल परिवारों से मुलाकात करने पर मृत्यु भोज नहीं करने की सलाह देने पर समाज में उलहाना भी झेलना पड़ा। समाज की नजर में मृत्यु भोज एक धार्मिक और परंपरागत कार्य है इसके विरुद्ध कार्य करने पर सरपंच को समाज बंधुओं ने चेतावनी भी दी। सरपंच प्यारी रावत अपने लक्ष्य अटल थी प्रीतिभोज बंदी को लेकर उनके प्रयास सतत जारी रहे इसी बीच कोरोना महामारी के साथ दें कोरोना एडवाइजरी सोशल डिस्टेंसिंग के चलते गांवों में हुई मौतों पर मृत्यु भोज का आयोजन नहीं किया गया तो प्यारी देवी ने इसे समाज के पटल पर रखा कि जब कोरोना एडवाइजरी के चलते आप भर्ती पोस्ट नहीं कर रहे हैं तो इसे निरंतर रखा जाए और सदा सदा के लिए मृत्यु भोज को बंद किया जाए। क्षेत्र में सोशल मीडिया के माध्यम से सरपंच जारी रहेगा कि यह मुहिम चर्चा का विषय बन गई लोगों ने इनके विरुद्ध मोर्चा खोल दिया इसे हिंदू संस्कृति जोड़कर देखने लगे यारी रावत के जबरदस्त विरोध के बीच सोशल मीडिया की मुहिम ग्राम पंचायत मंडावर क्षेत्र आसपास मेवाड़ मारवाड़ में मगरा क्षेत्र में फैल गई धीरे धीरे यह क्रांति का रूप बन गया मण्डावर मृत्युभोज बंदी को लेकर कई समाजों में मृत्युभोज बंदी को लेकर संकल्प ले गए पूरे क्षेत्र में मण्डावर शराबबंदी के बाद मृत्यु भोज बंदी अन्य समाजों और क्षेत्रों में फर्स्ट स्टार्टिंग पाक का काम किया यह मुहिम इतनी विस्तृत हो गई कि सभी जगह मृत्यु भोज को लेकर चर्चाएं होने लगी इसी बीच राजस्थान सरकार के माध्यम से 1966 के अधिनियम को लेकर डिवाइस आर्डर जारी कर दिया। राजस्थान सरकार के द्वारा मृत्यु भोज बंदी को लेकर रिवाइज आर्डर जारी करने पर विरोध करने वाले लोगों के मुंह पर ताले लग गए और ग्राम पंचायत मंडावर एवं प्यारी देवी के समर्थकों में उत्साह का माहौल बन गया एक बार फिर प्यारी देवी मृत्यु भोज के रूप बंदी के रूप में सबके सामने जीत का लक्ष्य हासिल कर लिया।

प्यारी देवी का गांव कई क्षेत्रों में चर्चित
प्यारी देवी का गांव 2015 से पहले अपने आसपास क्षेत्रों में भी अनजान था अपने गांव के लोगों को परिचय देने में दूसरे किसी पड़ोसी गांव का परिचय देकर बताना पड़ता था परंतु आज यह गांव किसी भी परिचय का मोहताज नहीं है पूरे देश और दुनिया में अपना नाम कमा चुका है कई प्रतियोगी परीक्षाओं में गांव को लेकर प्रश्न पूछे जा चुके हैं। गांव में शराबबंदी के अलावा स्वच्छ भारत मिशन में उत्कृष्ट कार्य करने पर राजस्थान की 16 चुनिंदा ग्राम पंचायतों में चयनित है। मांगलिक अवसरों पर नींबू पौधा फिट करने की परंपरा को निर्वहन किया जा रहा है घर-घर नींबू अभियान से प्रत्येक घर में नींबू अभियान लगाया जा रहा है।

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