DOT ने की 45000 मोबाइल टावर्स जाँच, सभी टावर सुरक्षित

जयपुर: दूरसंचार विभाग (Department of telecommunication DOT), राजस्थान, जयपुर ने अप्रैल 2021 तक विभिन्न दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के मोबाइल टॉवरों में स्थित 45000 से अधिक मोबाइल बेस ट्रांसीवर यूनिट्स (BTS) की जाँच व परीक्षण किया है। इन मोबाइल टावरों की जाँच व परीक्षण राजस्थान राज्य के सभी जिलों में समान रूप से किया गया तथा covid के दौरान भी जारी रहा। वित्त वर्ष 2020-21 में राज्य में लगभग 2900 बीटीएस और अप्रैल 2021 में 225 बीटीएस की जाँच व परीक्षण किया गया था। पिछले छह वर्षो में, कोई भी बीटीएस ऐसा नहीं पाया गया है, जो दूर संचार विभाग द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से ज्यादा विकिरण उत्सर्जित कर रहा हो ।

यह उल्लेखनीय है कि दूर संचार विभाग (BTS) ने मोबाइल टॉवर से निकलने वाली विकिरण (Electro Magnatic Radiations ) को विनियमित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि हमारे टेलीकॉम टावर कुछ विकसित देशों द्वारा अपनाए गए मानकों से कहीं अधिक सुरक्षित हैं। यह इस तथ्य को दोहराता है कि राजस्थान राज्य में मोबाइल टावर सुरक्षित हैं।

मोबाइल टावर की जाँच व परिक्षण के अलावा भी हर एक दूरसंचार सेवा प्रदाता को प्रत्येक साइट समन्धित सेल्फ सर्टिफिकेट दूरसंचार विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर देना होता है। इन सेल्फ सर्टिफिकेट की भी दूरसंचार विभाग द्वारा नियमित जांच की जाती है। किसी भी दूर संचार सेवा प्रदाता की साइट इन सेल्फ सर्टिफिकेट के ऑनलाइन प्रस्तुत होने से पहले रेडिएट नहीं कर सकती है। यदि सेल्फ सर्टिफिकेट को नियत तारीख तक ऑनलाइन नहीं जमा किया जाता है, तो दूरसंचार विभाग द्वारा जारी किये कड़े प्रावधान अस्तित्व में आते हैं, जिसमें बीटीएस को भी बंद करना शामिल है।

दूरसंचार विभाग ने जन-जन में विश्वास पैदा करने के उद्देश्य से एवं उनकी सुरक्षा और मोबाइल टावरों से सम्बंधित किसी भी मिथक और भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्य से मोबाइल टावरों और विद्युत चुम्बकीय विकिरण विकिरण अनुपालन पर जानकारी साझा करने के लिए तरंग संचार वेब पोर्टल http://www.tarangsanchar.in/ लॉन्च किया है। यह पोर्टल एक सार्वजनिक प्लेटफार्म प्रदान करता है जहां किसी भी इलाके में मोबाइल टॉवर देखने के लिए एक आसान मानचित्र-आधारित खोज सुविधा प्रदान की गई है। मोबाइल टावरों की विद्युत चुम्बकीय विकिरण विकिरण अनुपालन स्थिति की जानकारी एक बटन पर क्लिक करके प्राप्त की जा सकती है।
यूपी जैसे कुछ राज्यों में सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर भ्रामक संदेश चल रहे हैं, जिनमें यह दावा किया गया है कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर आने का कारण 5G मोबाइल टावरों से किए जा रहे परीक्षण हैं। दूरसंचार विभाग की ओर से जारी एक वक्तव्य के अनुसार ऐसे सभी संदेश भ्रामक एवं असत्य होने के साथ ही निराधार हैं। इस प्रेस वक्तव्य के माध्यम से यह सूचित किया जाता है कि 5G प्रौद्योगिकी और कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में कोई सम्बन्ध नहीं है। जन सामान्य से यह अनुरोध किया जाता है कि वे इस सम्बन्ध में चल रही असत्य एवं गलत सूचनाओं और फैलाई जा रही अफवाहों से भ्रमित न हों। 5G प्रौद्योगिकी को कोविड-19 वैश्विक महामारी से जोड़ने वाले दावे भ्रामक हैं और उनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। साथ, ही यह भी सूचित किया जाता है कि राज्य में अभी कहीं भी 5G नेटवर्क की टेस्टिंग शुरू नहीं हुई है। अतः यह दावा आधारहीन और गलत है कि 5G के परीक्षण अथवा इसके नेटवर्क के कारण कोरोनावायरस फैला है।
महामारी की इस अवधि के दौरान कई संगठनो द्वारा वर्क फ्रॉम होम, वर्चुअल मीटिंग और वीडियो कॉल आदि से कार्य करना शुरू हो गए है एवं ई-सेवाओं, ओटीटी प्लेटफार्मों, ई-कॉमर्स और ई-गवर्नेंस का उपयोग काफी बढ़ गया है। इसलिए, मोबाइल ब्रॉडबैंड या इंटरनेट दूरसंचार सेवाओं का महत्व कई गुना हो गया है। इस प्रकार, डिजिटल इंडिया की स्कीम को लागू करने के लिए, अधिक से अधिक मोबाइल टावरों की आवश्यकता है जो निर्धारित विद्युतचुम्बकीय विकिरण मानदंडों के भीतर रेडिएशन करेंगे । अतः दूरसंचार विभाग राजस्थान एलएसए आम जनता को आश्वस्त करता है कि मोबाइल टावर किसी भी ईएमएफ विकिरण उत्सर्जन प्रभाव से सुरक्षित हैं।

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